नई दिल्ली। मनुष्य को कोरोनावायरस के संक्रमण से बचाने के लिए तैयार की गई भारत की स्वदेशी वैक्सीन कोवीशील्ड पर गंभीर साइड इफेक्ट के आरोप लगाए गए हैं। चेन्नई में 40 साल के एक वॉलिंटियर में आरोप लगाते हुए वैक्सीन बनाने वाली कंपनी सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (SII) से 5 करोड़ रुपए का हर्जाना मांगा है।
कोवीशील्ड वैक्सीन के बाद क्या परेशानी हो रही है
चेन्नई निवासी वॉलिंटियर का कहना है कि कोरोनावायरस के संक्रमण से बचाने के लिए तैयार की गई कोवीशील्ड वैक्सीन (Covishield Vaccine) का डोज लेने के बाद से उसे न्यूरोलॉजिकल समस्याएं (दिमाग से जुड़ी परेशानियां) शुरू हो गई हैं। वॉलिंटियर की उम्र 40 साल बताई गई है।
वालंटियर ने सभी संबंधित कंपनी/संस्थाओं को कानूनी नोटिस भेजा
वॉलंटियर ने सीरम इंस्टीट्यूट के साथ इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) , ब्रिटेन की एस्ट्राजेनेका, ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DCGI), ऑक्सफोर्ड वैक्सीन ट्रायल के चीफ इन्वेस्टीगेटर एंड्र पोलार्ड, यूनिवर्सिटी ऑफ ऑक्सफोर्ड के द जेनर इंस्टीट्यूट ऑफ लेबोरेटरीज और रामचंद्र हायर एजुकेशन एंड रिसर्च सेंटर के वाइस चांसलर को कानूनी नोटिस भेजा है। वॉलंटियर के एडवोकेट एनजीआर प्रसाद ने बताया कि सभी को 21 नवंबर को नोटिस भेजा गया था। अभी तक किसी का जवाब नहीं आया है।
वैक्सीन 70% असरदार होने का दावा
कोवीशील्ड के आखिरी फेज के ट्रायल्स दो तरह से किए गए हैं। पहले में दावा किया गया कि यह 62% असरदार दिखी, जबकि दूसरे में 90% से ज्यादा। औसत देखें तो वैक्सीन की इफेक्टिवनेस 70% के आसपास रही है। SII के एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर सुरेश जाधव ने हाल ही में दावा किया था कि वैक्सीन का प्रोडक्शन शुरू कर दिया है। जनवरी से हर महीने 5-6 करोड़ वैक्सीन बनने लगेंगी। सरकार से परमिशन मिलने पर इसकी सप्लाई शुरू कर दी जाएगी।
एक दिन पहले ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सीरम इंस्टीट्यूट गए थे
पुणे-बेस्ड सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (SII) कोवीशील्ड बना रहा है। कोवीशील्ड को ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी और फार्मा कंपनी एस्ट्राजेनेका ने मिलकर बनाया है। यह वैक्सीन इस समय भारत में आखिरी स्टेज के ट्रायल में है। शनिवार को ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सीरम इंस्टीट्यूट जाकर वैक्सीन तैयार होने का जायजा लिया था।