भोपाल। मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने जानकारी देते हुए बताया कि कृषि उपज मंडियों में व्यापारियों से लिए जाने वाले मंडी शुल्क में 75% की कटौती की गई है। अब मात्र 50 पैसे मंडी शुल्क लिया जाएगा। यह आदेश दिनांक 14 नवंबर 2020 से आगामी 3 महीने तक लागू रहेगा। इससे पहले 1.5% मंडी शुल्क लिया जाता था जो इस आदेश के बाद 0.5% रह गया।
इस संदर्भ में कृषि उपज मंडी के व्यापारी मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से मिले थे। उन्होंने आश्वासन दिया था कि यदि सरकार मंडी टैक्स कम करती है तो इससे सरकार की आय में कोई कमी नहीं होगी। मंडी व्यापारियों के आश्वासन पर कार्रवाई करते हुए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अगले 3 महीने के लिए अस्थाई तौर पर मंडी टैक्स में 75% की कटौती कर दी है। 3 महीने बाद इस छूट के परिणामों का अध्ययन कर आगे के लिए निर्णय लिया जाएगा।
मुख्यमंत्री श्री चौहान आज इस संबंध में विभाग की उच्च स्तरीय बैठक ले रहे थे। बैठक में मुख्य सचिव श्री इकबाल सिंह बैंस, प्रमुख सचिव श्री अजीत केसरी, प्रमुख सचिव श्री मनोज गोविल तथा संबंधित अधिकारी उपस्थित थे।
गत वर्ष मंडियों को हुई थी 1200 करोड़ रुपए की आय
वर्ष 2019-20 में प्रदेश की कृषि उपज मंडी समितियों को मंडी फीस एवं अन्य स्रोतों से कुल 12 सौ करोड रुपए की आय हुई थी। मंडी बोर्ड में लगभग 4200 तथा मंडी समिति सेवा में लगभग 2900 अधिकारी-कर्मचारी कार्यरत हैं तथा लगभग 2970 सेवानिवृत्त अधिकारी- कर्मचारी हैं। इनके वेतन भत्तों पर गत वर्ष 677 करोड रुपए का व्यय हुआ था। मंडी टैक्स से होने वाली आय से किसानों के लिए सड़कें, पेयजल आदि के प्रबंध किए जाते हैं।
मंडियों का मेंटेनेंस और कर्मचारियों का वेतन निकला तो छूट जारी रहेगी
व्यापारियों के आश्वासन पर मंडी शुल्क में छूट दी गई है। छूट की अवधि में यदि मंडियों को प्राप्त आय से मंडियों के संचालन, उनके रखरखाव एवं कर्मचारियों के वेतन भत्तों की व्यवस्था सुनिश्चित करने में कठिनाई नहीं होती है, तो राज्य शासन द्वारा इस छूट को आगे भी जारी रखा जा सकता है।