आज हम आपको एक महत्वपूर्ण जानकारी देंगे, हमने आपको कुछ महीनों पूर्व के लेखों में बताया था कि कौन से अपराध संज्ञेय अपराध होते हैं और कौन से अपराध असंज्ञेय अपराध होते हैं। एक बार संक्षिप्त में बता देते हैं जानिए पुलिस जिन अपराधों में बिना वारण्ट के किसी को गिरफ्तार नहीं करती है एवं वह अपराध जो कम गंभीर होते हैं वह असंज्ञेय अपराध होते हैं। जिन अपराधों में पुलिस को वारण्ट की आवश्यकता नही होती है गिरफ्तारी के लिए एवं जो अपराध गंभीर हो वह संज्ञेय अपराध है।
दण्ड प्रक्रिया संहिता,1973 की धारा 2 की परिभाषाएं (क)
1.जमानतीय अपराध:-
वे अपराध जो कम गंभीर प्रकृति के होते हैं,जिन अपराधों के लिए तीन वर्ष से कम अवधि की कारावास या केवल जुर्माने का प्रावधान होता हो। या आरोपी को निर्धारित राशि देकर तुरंत जमानत पर छोड़ दिया जाय यह जमानतीय अपराध होते हैं।
2. अजमानतीय अपराध:-
वे अपराध जो गंभीर प्रकृति के होते हैं एवं तुरंत जमानत पर नहीं छोड़ा जाए। एवं कठोर कारावास से दण्डनी हो वह अजमानतीय अपराध होते हैं।
जानिए अजमानतीय अपराध में बेल या जमानत कैसे मिलती है:-
अजमानतीय अपराध का तात्पर्य है नहीं है कि अभियुक्त को जमानत नहीं मिले अजमानतीय अपराध में निम्न स्तर पर जमानत मिलती है जानिए।
1.यह न्यायालय के विवेक पर निर्भर करता है कि उसे जमानत पर छोड़ा जाय या नहीं।
2.अजमानतीय अपराधों की दशा में आरोपी को जमानत प्राप्त करने हेतु अपने साक्ष्यों एवं तर्कों द्वारा न्यायालय को संतुष्ट करना पड़ता हैं कि उसको जमानत पर छोड़ देना न्यायसम्मत होगा।
उधरणानुसार वाद:- मोतीराम बनाम मध्यप्रदेश राज्य के मामले में न्यायमूर्ति कृष्णा अय्यर के यह विचार है कि ' जमानत एक नियम है, और जेल एक अपवाद(बदनामी) है, इसी भावना की सम्पुष्टि करते हैं। :- लेखक बी. आर. अहिरवार (पत्रकार एवं लॉ छात्र होशंगाबाद) 9827737665 | (Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article)
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