पुलिस अक्सर बाजारों में कुछ दुकानदारों को पूछताछ के नाम पर उठा ले जाती है। बताया जाता है कि उन्होंने चोरी का सामान खरीदा है। कई बार ऐसे दुकानदारों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया जाता है और कई बार छोड़ दिया जाता है। सवाल यह है कि ऐसा क्यों किया जाता है। क्या पुलिस रिश्वत देने वाले को छोड़ देती है और जो रिश्वत नहीं देता उसे जेल भेज देती है या फिर कानून में कोई ऐसा प्रावधान है जिसके कारण किसी को गिरफ्तार किया जाता है और किसी को छोड़ दिया जाता है। आइए, पता लगाते हैं:-
भारतीय दण्ड संहिता,1860 की धारा,410 की परिभाषा:-
अगर कोई व्यक्ति जानबूझकर या पता होते हुए बेईमानी के उद्देश्य से चोरी या लूट की वस्तु या संपत्ति को किसी चोर या लुटेरे से अपने कब्जे में रखेगा या खरीदेगा। या चोरों या लुटेरों की संपत्ति को अन्य व्यक्ति द्वारा दोबारा लूटना ऐसा करने वाले व्यक्ति धारा 410 के अपराध के दोषी होते हैं।
चोरी या लूट की संपत्ति का दूसरा अन्य व्यक्ति दोषी कब नहीं होगा:-
1. उसको पता नहीं होगा कि जो संपत्ति उसे किसी व्यक्ति ने दी है वह चोरी या लूट की है।
2. मूल अस्तित्व की संपत्ति न होना जैसे चोरी के गहने बेच कर या उन गहनों के अन्य गहने बनवाने पर। किसी व्यक्ति द्वारा अन्य बने हुए गहने रखना।
3. संपत्ति या वस्तु का कोई मालिक न होने पर।
4. इस धारा में संपत्ति बेचने वाला व्यक्ति अपराधी नहीं होगा।
भारतीय दण्ड संहिता,1860 की धारा 410 के अंतर्गत दण्ड का प्रावधान:-
इस धारा के अंतर्गत किया गया अपराध के लिए दण्ड का प्रावधान धारा 411 में दिया गया है। यह अपराध किसी भी प्रकार से समझौता योग्य नहीं है। यह संज्ञेय एवं अजमानतीय अपराध होते हैं, इनकी सुनवाई का अधिकार किसी भी मजिस्ट्रेट को होता है। सजा- तीन वर्ष की कारावास या जुर्माना या दोनो से दण्डित किया जा सकता है।
उदाहरणानुसार वाद:- शिवनाथ बनाम राज्य- आरोपी के विरुद्ध चोरी हुई घड़ी रखने का आरोप सिद्ध हो चुका था, अतः उसे धारा 411 के अंतर्गत केवल जुर्माने से दण्डित किया गया क्योंकि अपराध की घटना को कई वर्ष बीत चुके थे एवं आरोपी एक माह तक विचाराधीन कारावासी के रूप में जेल में रह चुका था। :- लेखक बी. आर. अहिरवार (पत्रकार एवं लॉ छात्र होशंगाबाद) 9827737665 | (Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article)
कानूनी जानकारी से संबंधित 10 सबसे लोकप्रिय लेख
कोर्ट में गीता पर हाथ रखकर कसम क्यों खिलाते थे, रामायण पर क्यों नहीं है
सरकारी अधिकारी निर्दोष नागरिक को जबरन रोककर रखे तो IPC की किस धारा के तहत मामला दर्ज होगा
अधिकारी, कोर्ट में गलत जानकारी पेश कर दे तो विभागीय कार्रवाई होगी या FIR दर्ज होगी
क्या जमानत की शर्तों का उल्लंघन अपराध है, नई FIR दर्ज हो सकती है
एक व्यक्ति अपराध करे और दूसरा सिर्फ साथ रहे तो दूसरा अपराधी माना जाएगा या नहीं
रात के समय किसी के घर में चोरी छुपे घुसना किस धारा के तहत अपराध है
यदि कोई मर्जी के बिना घर में घुस आए तो क्या FIR दर्ज करवाई जा सकती है
धूम्रपान करने वालों के खिलाफ IPC की किस धारा के तहत FIR दर्ज होगी
आम रास्ते में रुकावट पैदा करने वाले के खिलाफ किस धारा के तहत FIR दर्ज होती है
गर्भपात के दौरान यदि महिला की मृत्यु हो गई तो जेल कौन जाएगा डॉक्टर या पति
यदि जबरदस्ती नशे की हालत में अपराध हो जाए तो क्या सजा से माफी मिलेगी
सरकारी अधिकारी निर्दोष नागरिक को जबरन रोककर रखे तो IPC की किस धारा के तहत मामला दर्ज होगा
अधिकारी, कोर्ट में गलत जानकारी पेश कर दे तो विभागीय कार्रवाई होगी या FIR दर्ज होगी
क्या जमानत की शर्तों का उल्लंघन अपराध है, नई FIR दर्ज हो सकती है
एक व्यक्ति अपराध करे और दूसरा सिर्फ साथ रहे तो दूसरा अपराधी माना जाएगा या नहीं
रात के समय किसी के घर में चोरी छुपे घुसना किस धारा के तहत अपराध है
यदि कोई मर्जी के बिना घर में घुस आए तो क्या FIR दर्ज करवाई जा सकती है
धूम्रपान करने वालों के खिलाफ IPC की किस धारा के तहत FIR दर्ज होगी
आम रास्ते में रुकावट पैदा करने वाले के खिलाफ किस धारा के तहत FIR दर्ज होती है
गर्भपात के दौरान यदि महिला की मृत्यु हो गई तो जेल कौन जाएगा डॉक्टर या पति
यदि जबरदस्ती नशे की हालत में अपराध हो जाए तो क्या सजा से माफी मिलेगी