हमने आपको आईपीसी की धारा 421 एवं 422 की जानकारी दी थी,यह धारा भी उन्हीं धारा के समानरूपी है। न्यायालय या कोई विभाग द्वारा या बैंक द्वारा किसी व्यक्ति की संपत्ति कुर्क हो जाती है और कुर्क होने के बाद में कोई व्यक्ति अपनी संपत्ति को स्वयं छुपाता है या किसी दूसरे व्यक्ति को छुपाने के लिए दे देता है या गुप्त रूप से उस संपत्ति को बेच देता है, तब ऐसा करने वाला व्यक्ति भी अपराधी हो जानिए।
भारतीय दण्ड संहिता,1860 की धारा 424 की परिभाषा:-
अगर कोई व्यक्ति किसी लेनदार की कर्ज की अदायगी से बचने के लिए निम्न कृत्य करता है:-
1. अपनी संपत्ति को स्वयं द्वारा छुपा लेता है या दूसरे द्वारा छुपा लेना।
2. कुर्की संपत्ति को बेईमानी या कपटपूर्वक खर्च कर देना।
3. कुर्की के आदेश होने से पहले अपनी संपत्ति को संबंधित अधिकारियों को नहीं बताना आदि।
नोट:- यहाँ पर जो व्यक्ति कर्जदार की संपत्ति को छिपायेगा वह व्यक्ति भी धारा 424 के अंतर्गत दोषी होगा।
भारतीय दण्ड संहिता,1860 की धारा 422 के अंतर्गत दण्ड का प्रावधान:-
इस धारा के अपराध समझौता योग्य होते हैं उस व्यक्ति से जो आपके कर्ज का लेनदार है। यह असंज्ञेय एवं जमानतीय अपराध होते हैं।इनकी सुनवाई का अधिकार किसी भी मजिस्ट्रेट को होता है। सजा:- इस अपराध के लिए दो वर्ष की कारावास या जुर्माना या दोनो से दण्डित किया जा सकता है।
उधरणानुसार:- किसी ऋणी की खेत में खड़ी फसल कुर्क कर ली गई हो, और अनाज को कुर्की से बचाने के लिए ऋणी व्यक्ति उस फसल को काट लिया हो तब उस व्यक्ति को धारा 424 के अंतर्गत दोषी मना जाएगा। :- लेखक बी. आर. अहिरवार (पत्रकार एवं लॉ छात्र होशंगाबाद) 9827737665 | (Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article)
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