ग्वालियर। 10 साल से शहर के कचरे में अपने लिए खाना ढूंढने वाले, भिखारी की तरह दिखने वाले हैं एक व्यक्ति की जब पहचान उजागर हुई थी सारे देश की सुर्खियां बन गई। सभी जानना चाहते हैं कि जिनके पिता एडिशनल एसपी थे और भाई थानेदार है। जिनकी पत्नी जज है, वह सब इंस्पेक्टर मनीष मिश्रा 10 साल से भिखारी बनकर क्यों घूम रहा था। इतने लंबे समय तक डिपार्टमेंट ने उनकी तलाश क्यों नहीं की।
मानसिक स्थिति गड़बड़ाई तो पत्नी ने तलाक ले लिया
अखबारों में कई तरह की खबरें छप रही है। बताया जा रहा है कि जब तक सब इंस्पेक्टर मनीष मिश्रा पूरी तरह से स्वास्थ्य थे, पूरा परिवार उनके साथ रहता था परंतु जैसे ही उनकी मानसिक स्थिति गड़बड़ाई, परिवार के लोगों ने उनका साथ छोड़ना शुरू कर दिया। अंत में उनकी अपनी पत्नी ने भी तलाक ले लिया और वह लावारिस ओ की तरह ग्वालियर की सड़कों पर घूमने लगे।
सब इंस्पेक्टर मनीष मिश्रा की कहानी में कई सवाल शेष है
- एसआई मनीष मिश्रा अपने बैच के बेहतरीन निशानेबाज थे।
- उनके परिवार में पिता, चाचा, भाई और पत्नी कोई भी ऐसा नहीं है जो परिस्थितियों के आगे लाचार हो और मनीष के इलाज का खर्चा ना उठा सके।
- मानसिक स्थिति खराब होने पर मरीज अक्सर असामान्य और उग्र हो जाता है परंतु परिवार उसका साथ नहीं छोड़ता। फिर ऐसा क्या हुआ जो मनीष के परिवार ने मनीष का साथ छोड़ दिया।
- कहते हैं कि मनीष मिश्रा एक बेहतरीन इन्वेस्टिगेशन ऑफीसर थे। उनकी लास्ट पोस्टिंग दतिया में थी। क्या - ड्यूटी से अनुपस्थित होने से पहले कुछ ऐसा हुआ जिसने उनके मानसिक संतुलन को प्रभावित किया।
- क्या कारण है कि पुलिस डिपार्टमेंट में अपने एक जांबाज अधिकारी को तलाशने की कोशिश नहीं की।
- अनुपस्थित अधिकारी की तलाश और सेवा समाप्ति की कार्रवाई के लिए लंबी प्रक्रिया का पालन किया जाता है, - क्या मनीष मिश्रा के केस में इस प्रक्रिया का पालन किया जा रहा था।
- पुलिस विभाग पर सवाल इसलिए क्योंकि मनीष मिश्रा के मिलने के 5 दिन बाद तक मध्य प्रदेश पुलिस मुख्यालय की ओर से कोई बयान जारी नहीं हुआ है।
- क्या कारण है कि ज्यादातर मामलों में संवेदनशील नजर आने वाले गृह मंत्री डॉक्टर नरोत्तम मिश्रा ने सब - इंस्पेक्टर मनीष मिश्रा के केस में कोई बयान नहीं दिया। जबकि मनीष मिश्रा की लास्ट पोस्टिंग दतिया में थी जो कि डॉ नरोत्तम मिश्रा का निर्वाचन क्षेत्र है।