बैंक लोन रिकॉर्ड में दर्ज संपत्ति का विक्रय अपराध है या नहीं, धारा एवं सजा, यहां पढ़िए
अक्सर देखा जाता हैं कि लोग अपनी जीविका चलाने के लिए बैंकों या कोई अन्य संस्थाओं से कर्ज लेने का काम करते हैं। बैंक या कोई अन्य संस्था कर्ज देते वक्त देनदार से अपनी संपत्ति के बारे मे जानकारी लेता है कि यह व्यक्ति का मकान या कुछ स्थाई मुकाम है या नहीं। फिर संबंधित व्यक्ति को कर्ज दे दिया जाता है लेकिन कुछ व्यक्ति बैंक या अन्य व्यक्ति से लिए गए कर्ज को समय पर अदा नहीं करते या अपनी संपत्ति को छुपा लेते हैं जो बैंक को बताई थी या उसे गुप्त रूप में बेच देते हैं तब ऐसे व्यक्ति पर मुकदमा दर्ज होगा एवं सजा भी होगी जानिए।भारतीय दण्ड संहिता,1860 की धारा 421 की परिभाषा:-
अगर कोई व्यक्ति किसी भी प्रकार के लेनदार से पैसे देने में आनाकानी करता है या बैंक में गिरबी रखी संपत्ति को गुप्त रूप से बेचता है या पैसे होते हुए भी कर्ज के पैसे नहीं देता है, लेनदार से चल-अचल संपत्ति को छुपा लेता है। ऐसा करने वाला व्यक्ति धारा 421 के अंतर्गत अपराधी होगा।
भारतीय दण्ड संहिता,1860 की धारा 421 के अंतर्गत दण्ड का प्रावधान:-
इस धारा के अपराध समझौता योग्य होते हैं उस व्यक्ति से जो आपके कर्ज का लेनदार है। यह असंज्ञेय एवं जमानतीय अपराध होते हैं।इनकी सुनवाई का अधिकार किसी भी मजिस्ट्रेट को होता है। सजा:- इस अपराध के लिए दो वर्ष की कारावास या जुर्माना या दोनो से दण्डित किया जा सकता है।
उधरणानुसार:- श्याम ने किसी बैंक से व्यवसाय के संबंध में ऋण लेता है और अगर वह उस कर्ज को नहीं चुकायेगा तो उसके बदले में मकान गिरवी रखता है। लेकिन वह लोन लेने के कुछ दिन बाद उसके मकान को बिना ऋण चुकाए किसी अन्य व्यक्ति को बेच देता है। यहाँ पर श्याम पर धारा 421 का मामला दर्ज होगा।
:- लेखक बी. आर. अहिरवार (पत्रकार एवं लॉ छात्र होशंगाबाद) 9827737665 | (Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article)
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