एक सिगरेट ने नेहरू की सारी मेहनत को राख कर दिया, भोपाल में BHEL के लिए नहीं बल्कि सिगरेट के लिए याद किए जाते हैं - BHOPAL NEWS

Bhopal Samachar
भोपाल
। आज दिनांक 14 नवंबर 2020 भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू का जन्मदिन है। सारे देश में उनके प्रसंग याद किए जा रहे हैं। भोपाल में भी उनके किस्से सुनाए जा रहे हैं परंतु लोग उन्हें BHEL जैसी महान कंपनी की स्थापना के लिए नहीं बल्कि एक सिगरेट के किस्से के लिए याद कर रहे हैं। सिगरेट के शौक ने पंडित जवाहरलाल नेहरु की 18 भोपाल यात्राओं को चौपट करके रख दिया। भारत हेवी इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड की स्थापना का क्रेडिट राख हो गया।

भोपाल और मध्य प्रदेश के विकास के लिए पंडित जवाहरलाल नेहरू का मिशन

भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने आत्मनिर्भर भारत की नींव रखी थी। उनका मानना था कि यदि जनता पर टैक्स लगाकर कमाई की गई तो स्वतंत्रता की लड़ाई का कोई मूल्य ही नहीं रह जाएगा। नेहरू का मानना था कि स्वतंत्रता का मतलब केवल सरकार चुनने की आजादी नहीं बल्कि अपनी कमाई को अपने तरीके से खर्च करने की आजादी भी होनी चाहिए। जनता के पैसे को टैक्स लगाकर छीना नहीं जा सकता। इसलिए वह सरकार की आय के मजबूत स्त्रोत स्थापित करना चाहते थे। इसी के चलते उन्होंने भारत में ऐसी कंपनियों की स्थापना की जिन्होंने सरकार के खजाने को लंबे समय तक मोटी कमाई थी और आज भी मुनाफे में चल रही है। भोपाल में भारत हेवी इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड की स्थापना उनका मिशन था, और बीएचईएल की सफलता उनके विजन का प्रमाण है। इस मिशन को पूरा करने के लिए प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू 18 बार भोपाल यात्रा पर आए और सफलतापूर्वक बीएचईएल की स्थापना की, लेकिन उनके जन्मदिन पर इस मिशन की कोई बात नहीं करता।

एक सिगरेट ने नेहरू के सारे क्रेडिट को राख दिया 

कहते हैं शौक बड़ी चीज है परंतु कई बार यही शौक किसी व्यक्ति की सफलताओं को शून्य कर देता है। जवाहरलाल नेहरू के मामले में ऐसा ही हुआ है। पंडित जवाहरलाल नेहरू को रात्रि का भोजन करने के बाद सिगरेट पीने की आदत थी। नेहरू 555 ब्रांड की सिगरेट पीना पसंद करते थे। हरि विनायक पाटस्कर मध्य प्रदेश के राज्यपाल थे उन दिनों जवाहरलाल नेहरू भोपाल आए, अपने साथ अपनी सिगरेट लाना भूल गए। भोपाल में 555 ब्रांड की सिगरेट उपलब्ध नहीं थी अतः सरकारी विमान को इंदौर भेजा गया, वहां से सिगरेट लेकर विमान वापस आया। यह कहानी इतिहास में दर्ज हो गई। मध्य प्रदेश के राजभवन की वेबसाइट पर भी इस किस्से का जिक्र है। इस किस्से के कारण पंडित जवाहरलाल नेहरु की हमेशा निंदा की जाती है।
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