भोपाल। मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में मध्य विधानसभा सीट से कांग्रेस के विधायक आरिफ मसूद के खिलाफ नगर निगम की कार्रवाई, सिर्फ दिखावे की कार्रवाई साबित हुई। मीडिया को मसाला देने के लिए भारी भरकम मशीनें और पुलिस फोर्स लगाया गया लेकिन कोई कड़ी कार्रवाई नहीं की गई। सिर्फ वाहन पार्किंग वाला टीनशेड, सीढ़ियां और बाथरूम तोड़ा गया। जबकि दस्तावेजों के अनुसार नगर निगम का दावा है कि पूरा का पूरा कॉलेज ही अतिक्रमण में बना हुआ है। पूरी कार्रवाई कुछ इस तरीके से की गई है जिससे मीडिया में खबरें भी छप जाएं और आरिफ मसूद को कोई नुकसान भी ना हो।
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के निर्देश पर हुई कार्रवाई
कांग्रेस विधायक आरिफ मसूद द्वारा मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में फ्रांस के राष्ट्रपति के खिलाफ बिना अनुमति प्रदर्शन का जब भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय स्तर तक के नेताओं ने विरोध किया तो मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने बुधवार की रात भोपाल कमिश्नर, कलेक्टर एवं डीआईजी को बुलाया था। माना जा रहा है कि तभी सांकेतिक कार्रवाई की रणनीति तय की गई।
सुबह 6:00 बजे से भारी भरकम तैयारियां शुरू हो गई थी
सुबह करीब 6 बजे पुलिस और प्रशासन पुलिस कंट्रोल रूम में जमा हुआ। सुबह तक चुनिंदा अधिकारियों के अलावा किसी को नहीं पता था कि कार्रवाई कहां की जानी है। पूरी प्लानिंग के साथ शहर में 450 का पुलिस बल लगाया गया। इसके लिए 26 पॉइंट बनाए गए थे। इसमें से करीब 200 पुलिसकर्मी कॉलेज में अतिक्रमण की कार्रवाई के दौरान नगर निगम प्रशासन के साथ था, जबकि कलेक्टर और डीआईजी कंट्रोल रूम में मौजूद थे। इस सब को देखकर अनुमान लगाया जा रहा था कि बड़ी कार्रवाई होगी।
दिग्विजय सिंह शासनकाल में बनाया गया था आईपीएस कॉलेज
जानकारी के अनुसार 1999 में मध्यप्रदेश शासन ने अमन एजुकेशन सोसाइटी के नाम पर खानूगांव में बड़े तालाब के एप्रोच इलाके में इस एरिया को लीज पर दिया गया था। उन दिनों मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री दिग्विजय सिंह थे जो भोपाल के विधायक श्री आरिफ मसूद के राजनैतिक सरपरस्त माने जाते हैं।
नगर निगम 2005 का स्टे ऑर्डर, 2020 तक रद्द नहीं करवा पाया
समिति ने यहां पर कॉलेज और ऑफिस की बिल्डिंग बनाने के लिए नगर निगम में अनुमति के लिए आवेदन किया था। एक महीने बाद भी परमिशन नहीं मिलने के चलते समिति डिस्ट्रिक्ट कोर्ट चली गई, जहां दस्तावेजों के आधार पर कोर्ट ने आदेश दिया कि अनुमति संबंधी लगाए गए कॉलेज के स्ट्रक्चर को किसी तरह से नगर निगम कार्रवाई नहीं करेगा। 2005 में कोर्ट ने स्टे दे दिया था। इसके बाद नगर निगम इस आदेश को लेकर हाईकोर्ट चला गया। सब कुछ जैसे कागजी प्रक्रिया पूरी करने के लिए हुआ। 15 साल से यह भवन स्थगन आदेश के कारण खड़ा हुआ है।
इस मामले में जल्द फैसला आ जाएगा: एके साहनी असिस्टेंट इंजीनियर
उसने अपनी तरफ से दायर याचिका में कहा कि हमने इस संबंध में मसूद को कई बार नोटिस भेजे थे, लेकिन उन्होंने जवाब नहीं दिया। इसलिए उनकी बिल्डिंग परमिशन रद्द की जाए। असिस्टेंट इंजीनियर एके साहनी ने बताया कि मामला कोर्ट में फाइनल सुनवाई में है। जल्दी इस संबंध में फैसला आ जाएगा।
नगर निगम ने सिर्फ दिखावे की कार्रवाई की
यह पूरी कार्रवाई नगर निगम, जिला प्रशासन और पुलिस की संयुक्त टीम ने किया। आमतौर पर नगर निगम दोपहर 12 बजे के बाद कार्रवाई करता है, लेकिन यह कार्रवाई सुबह 6 बजे की गई। सबसे बड़ी बात थी कि अस्थाई स्ट्रक्चर को ही तोड़ा गया। इसके अलावा सिर्फ 600 स्क्वायर फीट पक्के निमार्ण को तोड़ा गया। इसमें भी सीढ़ियां और बाथरूम आदि बने हुए थे।
नगर निगम की जेसीबी मशीन सफाई करने के लिए वापस आई
सबसे बड़ी बात कि नगर निगम की जेसीबी मशीनें एक बार जा चुकी थी, लेकिन दोबारा उन्हें बुलाया गया। इस बार वे मलबे को साइड में करने के लिए निगम द्वारा लगाई गईं। सबसे बड़ी बात कि अतिक्रमण की साइड से नगर निगम सामान को जब्त करता है, लेकिन यहां पर यह कार्रवाई भी नहीं की गई।
विधायक ने कहा नोटिस नहीं दिया, नगर निगम बोला 15 दिन पहले भेजा था
इस मामले में कांग्रेस विधायक आरिफ मसूद ने बयान जारी किया कि उनके खिलाफ एकतरफा कार्रवाई की गई है। कार्रवाई से पहले उन्हें कोई नोटिस नहीं दिया गया। नगर निगम परमिशन शाखा के असिस्टेंट इंजीनियर एके साहनी ने बताया कि मसूद को करीब 15 दिन पहले कॉलेज परिसर में अतिक्रमण को हटाने के लिए नोटिस दिया था। यह नोटिस धारा 307 के तहत दिया जाता है। इसमें तीन दिन के अंदर खुद ही अतिक्रमण हटाने के निर्देश होते हैं। मसूद ने 15 दिन बाद भी अतिक्रमण नहीं हटाया है। इसलिए गुरुवार सुबह नियम अनुसार कार्रवाई की गई।