नेशनल हाईवे हो या फिर स्टेट हाईवे, यदि सड़क की क्वालिटी अच्छी है और वह सड़क पिछले 10 सालों में बनाई हुई है तो निश्चित रूप से सड़क के बीच में बड़ी सी क्यारी बनाकर पौधे जरूर लगाए गए होंगे। जबकि 50 साल पुरानी सड़क जब अब देखेंगे तो पाएंगे कि सड़क के दोनों तरफ हरे भरे पेड़ लगाए जाते थे। सवाल यह है कि नाजुक पौधों को प्रदूषण के बीच में क्यों लगाया जाता है। आइए पता करते हैं:-
भारत में इन दिनों ज्यादातर सड़कें नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया की गाइड लाइन के अनुसार बनाई जा रही है। भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (भाराराप्रा) भारत सरकार का एक उपक्रम है। इसका कार्य इसे सौंपे गए राष्ट्रीय राजमार्गों का विकास, रख-रखाव और प्रबन्धन करना और इससे जुड़े हुए अथवा आनुषंगिक मामलों को देखना है।
✔ किसी भी प्रकार के हाईवे या फिर एक्सप्रेसवे में वाहनों की अब और डाउन लाइन के बीच में कुछ इस तरह के पौधे लगाए जाते हैं जो आने और जाने वाले वाहनों के बीच कम से कम 8 फुट की दूरी बना दे।
✔ इंजीनियर का मानना है कि ऐसा करने से एक्सीडेंट की संभावना है काफी कम हो जाती है।
✔ आमने सामने आने वाले वाहनों की हेडलाइट एक दूसरे के ड्राइवर को डिस्टर्ब नहीं करती है।
✔ क्यारी में इस तरह के पौधे लगाए जाते हैं जो प्रदूषण को कम करने का काम करते हैं।
✔ पेड़ पौधों का हरा रंग ड्राइवर की आंखों को शीतलता प्रदान करता है जिससे आंखों में जलन नहीं होती।
✔ झाड़ियों के कारण इंसान एवं जानवर रोड क्रॉस नहीं करते और एक्सीडेंट कम होते हैं।
✔ अथॉरिटी ने बीच में ग्रीन लाइन की अनिवार्य शर्त रखी है परंतु सड़क के आसपास वृक्षारोपण की कोई मनाही नहीं है। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article (current affairs in hindi, gk question in hindi, current affairs 2019 in hindi, current affairs 2018 in hindi, today current affairs in hindi, general knowledge in hindi, gk ke question, gktoday in hindi, gk question answer in hindi,)