भारत देश के ज्यादातर घरों में खाना पकाने के लिए एलपीजी - लिक्विड पेट्रोलियम गैस का उपयोग किया जाता है जिसे हम बोलचाल की भाषा में रसोई गैस कहते हैं। रसोई गैस की सबसे खास बात यह है कि उसमें से धुआं नहीं निकलता। भारत में सबसे पहले एलपीजी गैस की मार्केटिंग इसी तथ्य के आधार पर की गई थी और इसके कारण पहली बार भारत में लोगों ने पारंपरिक चूल्हे को छोड़कर गैस सिलेंडर खरीदे थे। आग तो आग होती है फिर चाहे वह लकड़ी से निकले या किसी गैस से, सवाल यह है कि एलपीजी गैस की आग से धुआं क्यों नहीं उठता।
यदि आपने लकड़ी के चूल्हे या तंदूर देखें हैं तो आप को ध्यान में आएगा कि उनकी अग्नि का रंग लाल होता है एवं उसमें से निरंतर धुआ निकलता रहता है। जबकि रसोई गैस की लपटों का रंग नीला होता है। यही कारण है कि रसोई गैस की आग में धुआं नहीं निकलता जबकि लकड़ी, कंडे या कोयले की आग में काफी धुआं होता है।
अग्नि की नीली लौ का मतलब है गैस का पूरा दहन और तनिक भी अपशिष्ट का न बचना। पूर्ण दहन के कारण ही एलपीजी एक नीली लौ के साथ जलता है। एलपीजी ही क्यों अन्य शुद्ध हाइड्रोकार्बन जैसे मीथेन, प्रोपेन, ब्यूटेन और इथेन गैस भी एक नीली लौ के साथ जलते हैं।
एलपीजी गैस मुख्य रूप से प्रोपेन व ब्यूटेन का मिश्रण होती है तथा इसमें थोड़ी मात्रा में अन्य हाइड्रोकार्बन भी पाए जाते हैं। यही कारण है कि एलपीजी 100 प्रतिशत जल जाती है। उसकी ज्वलनशीलता काफी तीव्र होती है।
सरल शब्दों में बात केवल इतनी सी है कि आप जिस चीज को जला रहे हैं यदि उसमें मिलावट है और उसके अंदर मौजूद पदार्थ अग्नि में जलने का विरोध करते हैं तो धुआं निकलता है। धुआं का सिर्फ एक ही अर्थ होता है, अग्नि को प्रज्वलित होने में समस्या हो रही है। वस्तु में कुछ ऐसा है जो अग्नि का विरोध कर रहा है। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article (current affairs in hindi, gk question in hindi, current affairs 2019 in hindi, current affairs 2018 in hindi, today current affairs in hindi, general knowledge in hindi, gk ke question, gktoday in hindi, gk question answer in hindi,)