बीना। मध्य प्रदेश के बीना शहर के सिविल अस्पताल के स्वास्थ्य कर्मी वसीम खान कोरोना के विरुद्ध युद्ध में शहीद हो गए। वह स्वास्थ्य विभाग की उस टीम का हिस्सा थे, जो संक्रमितों को भर्ती कराने से लेकर उनके घर जाकर फर्स्ट कॉन्टैक्ट लिस्ट तैयार कर क्वारंटाइन करने जैसा कार्य करती थी। कोरोना के विरुद्ध युद्ध में बीना अस्पताल के यह तीसरे स्वास्थ्य कर्मी की मौत है।
वर्ष 2013-14 में बंडा के समीप शाहपुर से तबादले पर आए नेत्र सहायक वसीम खान अपने काम को पूरी ईमानदारी से करते थे। उसी समय नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ पीके जैन का तबादला बीना से खुरई हुआ और नेत्र से संबंधित सभी प्रकार की जवाबदेही सीधे उन पर आ गई। इन जिम्मेदारियों का बखूबी निर्वहन वसीम खान ने किया। कोरोना काल में जब अस्पताल में केवल ओपीडी चालू थी, यह नेत्र संबंधी शिकायतें लेकर आने वाले मरीजों से बात करते और हर संभव उनकी मदद भी करते थे। बाद में उनकी ड्यूटी कोरोना मोबाइल यूनिट में डॉ अवतार सिंह यादव के साथ लगा दी गई। जिसमें वह संक्रमित का डाटा पूरा एकत्रित करते थे। इसके अलावा संक्रमितों के प्रथम संपर्क में आने वालों की जानकारी, संक्रमितों को दवा देने जैसे जरूरी काम भी इनके ही जिम्मे थे।
मेडिकल ऑफिसर डॉ. अवतार सिंह ने बताया कि 22 अक्टूबर को जब यह संक्रमित हुए तो ऐसा लगा मानों हमारी आधी ताकत चली गई हो। अचानक उनके शहीद होने की सूचना मिली। वह हमेशा कहते थे कि बीमारी भयावह है, लोगों को सावधानी बरतनी चाहिए। दो माह में कोरोना से तीन स्वास्थ्य कर्मी शहीद हो गए। जानकारी अनुसार 5 अक्टूबर को रेडियोग्राफर शैलेंद्र जैन कोरोना से शहीद हुए थे, अगले दिन यानि 6 अक्टूबर को आइसीटीसी काउंसलर निमित जड़िया का निधन हो गया था। अब तक बीना में कोरोना से 20 लोगों की मौत हो चुकी है। जिनमें 3 स्वास्थ्य कर्मी, एक पुलिस कर्मी शामिल है।