गजब! इमरजेंसी ड्यूटी के लिए आए फॉरेस्ट गार्डों को ट्रैफिक कंट्रोल पर खड़ा कर दिया - GWALIOR NEWS

Bhopal Samachar
ग्वालियर
। राष्ट्रीय आपदा अधिनियम 2005 के तहत कोरोनावायरस महामारी की रोकथाम के लिए बुलाए गए वन विभाग के फॉरेस्ट गार्डों को पुलिस डिपार्टमेंट के अधिकारियों ने फेस्टिवल सीजन में ट्रैफिक कंट्रोल पर खड़ा कर दिया। इसे लेकर कर्मचारी संगठन नाराज हैं। आपदा नियंत्रण के लिए वन रक्षकों की सेवाएं कलेक्टर कौशलेंद्र विक्रम सिंह ने जिला पुलिस बल के अंतर्गत अटैच कर दी थी, लेकिन यह अटैचमेंट केवल कोरोनावायरस कंटेनमेंट जोन ड्यूटी के लिए था।

मध्य प्रदेश वन कर्मचारी संघ के प्रदेश उपाध्यक्ष राजेंद्र कुमार शर्मा, जिला अध्यक्ष भारत भार्गव, सचिव नीरज शर्मा का कहना है कि जिला पुलिस ग्वालियर द्वारा शुरुआत में वनरक्षकों की ड्यूटी शहर में बने कोरोना कंटेनमेंट क्षेत्रों में लगाई गई थी। इसके बाद पुलिस द्वारा इन वनरक्षकों को चुनाव अचार सहिंता में मंत्रियो की वीआईपी ड्यूटी में लगा दिया गया। चुनाव के बाद पुलिस द्वारा वनरक्षकों को कंटेनमेंट क्षेत्रों में ड्यूटी पर न लगाते हुए ट्रैफिक पुलिस की तरह इस्तेमाल किया जा रहा है। 

दीपावली त्यौहार में ट्रैफिक पुलिस के साथ वनकर्मियों को शहर की ट्रैफिक व्यवस्था को सुचारु बनाने में लगा दिया गया था। जबकि इन वनरक्षकों को मूल रूप से कोरोना ड्यूटी के लिए इनके विभाग से बुलाया गया था। खास बात यह कि वनरक्षकों ने यातायात व्यवस्था संभालने संबंधित कोई ट्रेनिंग नहीं ली है, फिर भी पुलिस द्वारा इन वनरक्षकों को ड्यूटी पर लगाया गया है। 

वही दूसरी ओर वन मंडल क्षेत्र में रोज अवैध कटाई, उत्खनन और शिकार के प्रकरण हो रहे हैं, परन्तु स्टाफ की कमी होने से अपराधी बचने में सफल हो रहे हैं। मध्य प्रदेश वन कर्मचारी संघ की मांग है कि वन रक्षकों को उनके मूल विभाग में वापस भेज दिया जाए।
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