बहुत से लोगो के मन में एक प्रश्न बना रहता है कि कोई व्यक्ति जो अनुसूचित जाति, जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग का सदस्य हैं और अपने राज्य को छोड़कर किसी अन्य राज्य में जाकर निवास करने लगता है, तब ऐसे व्यक्ति को जिस राज्य में वह निवास कर रहा है इस राज्य में आरक्षण का लाभ मिलेगा या नही जानिए।
तब इसका जबाब है, नहीं। क्योंकि प्रदेश सरकार राज्यों में रहने वाले अनुसूचित जाति, जनजाति एवं अन्य पिछड़ा वर्ग के सदस्यों का उसी राज्य में आरक्षण मात्रात्मक गणना करके उसे केंद्र में भेजती है। एवं इसी आधार पर आरक्षित वर्ग के लोगो का प्रतिशत निकाला जाता है। इस लिए किसी अन्य राज्य व्यक्ति को दूसरे राज्य में आरक्षण का लाभ प्राप्त नहीं होगा। और दूसरे राज्य में वह राज्यों की नोकरियों में सामान्य वर्ग का माना जाएगा।
भारतीय संविधान,1950 के अनुसार जानिए:-
अनुच्छेद 15(4) एवं अनुच्छेद 16(4) एक समर्थकारी प्रावधान है जो राज्य का समर्थ करता है कि जो आरक्षित वर्ग में आते हैं लोक सेवा में नियुक्ति में आरक्षण प्रदान करे। जो आंकड़े राज्य के समाधान का आधार है सत्यापनीय होने के कारण इनकी न्यायिक जांच इस सीमित आधार पर हो सकती हैं कि क्या ये उन परिस्थितियों से सुसंगत है जिन पर समाधान हुआ है। इसलिए आरक्षण प्रावधानित करने का नीतिगत निर्णय न्यायिक जाँच का विषय नहीं है। इस प्रकार अगर अनुसूचित जाति, जनजाति, या अन्य पिछड़ा वर्ग का व्यक्ति जो अन्य राज्य या संघ क्षेत्र को चला जाता हैं तब वह वहाँ पर अनुच्छेद 15(4) एवं अनुच्छेद 16(4) के अंतर्गत आरक्षण प्राप्त करनें का हकदार नहीं होगा। क्योंकि राज्य में आरक्षण मात्रात्मक आंकड़े के अनुसार होता है। :- लेखक बी. आर. अहिरवार (पत्रकार एवं लॉ छात्र होशंगाबाद) 9827737665 | (Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article)
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