इंदौर। भिंडी का भाव सिर्फ 6 से 10 रुपये किलो, ककड़ी भी 6 रुपये से ज्यादा नहीं... शिमला मिर्च 16 स्र्पये तो बैंगन केवल दो रुपये किलो। गोभी का गर्व भी चूर-चूर है... 4-5 रुपये मिल जाए तो हद है, धनिया 5-6 रुपये पर थमा है। किसान गाड़ी भरकर मंडी में माल लाता है और जब घर जाता है तो जेब भी पूरी नहीं भरती।
प्रदेश की सबसे बड़ी देवी अहिल्याबाई होलकर सब्जी मंडी की जिसे बोलचाल में चोइथराम मंडी भी कहा जाता है। दो दिन पहले बड़वानी जिले के सजवानी गांव के किसान विनोद सेप्टा की गिलकी मात्र 1.50 रुपये किलो में बिकी। इंदौर मंडी में आसपास के गांवों के अलावा बड़े पैमाने पर निमाड़ से सब्जियां आती हैं। गिलकी, भिंडी, बैंगन और लौकी की हालत तो यह है कि इसकी गाड़ी का भाड़ा भी किसानों को नहीं मिल पा रहा है।
किसान पन्नी में सब्जी बेचने लाते हैं। एक पन्नी में 20 किलो सब्जी आती है और इसका गाड़ी भाड़ा 30 रुपये लगता है। इसके अलावा हम्माली और तुलाई के पांच रुपये पन्नी अलग से हैं। इस तरह मंडी तक सब्जी लाने और बेचने का शुल्क ही 35 रुपये तक जाता है, जबकि फिलहाल एक पन्नी सब्जी ही लगभग इतने में बिक रही है।