इंदौर। मध्य प्रदेश की विक्रम पुरस्कार प्राप्त खो-खो खिलाड़ी जूही झा को आखिरकार सरकारी नौकरी प्राप्त हो ही गई। सबसे खास बात यह है कि जूही झा ने जिन परिस्थितियों में विक्रम पुरस्कार जीता और अवार्ड जीतने के बाद वह जिन हालातों में रह रही थी, उसके लिए यह नौकरी बेहद जरूरी हो गई थी।
जूही झा एक गरीब परिवार से हैं जिन्होंने अपना जीवन संघर्ष में ही बिताया। वह ऐसे स्थान पर रहीं जहां से लोग निकलना भी पसंद नहीं करते। जूही के पिता सुबोध कुमार झा एक सार्वजनिक शौचालय में नौकरी करते थे। आर्थिक हालात खराब होने के कारण अपने परिवार सहित सार्वजनिक शौचालय में ही 10 बाय 10 के कमरे में रहते थे।
विक्रम पुरस्कार पाने वाले खिलाड़ी 3 साल से नौकरी के लिए संघर्ष कर रहे थे। 25 नवंबर को खेल मंत्रालय ने विक्रम पुरस्कार प्राप्त खिलाड़ियों को भोपाल बुलाकर लाटरी पद्धति से विभागों का बंटवारा किया। इससे अब खिलाड़ियों में नया जोश और स्फूर्ति है।