इंदौर। मध्य प्रदेश के इंदौर जिले गौतमपुरा में गोवर्धन पूजा पर दो दलों के बीच हाेने वाला हिंगोट युद्ध इस वर्ष पुलिस और योद्धाओं के बीच खेला गया। पुलिस प्रशासन की सख्ती के बावजूद योद्धाओं ने परंपरा निभाने छत से हिंगोट चलाए। हिंगोट छोड़ने को लेकर योद्धाओं ने पुलिस को जमकर छकाया। एक योद्धा ने तो सड़क पर आकर हिंगोट पुलिसकर्मी पर फेंक दिया। वहीं दूसरा योद्धा परंपरा निभाने पुलिस से बचते हुए मैदान तक पहुंच गया और हिंगोट छोड़ दिया। पुलिस ने दोनों की पीटकर थाने पहुंचाया। इस लुकाछिपी के खेल में पुलिस ने पांच योद्धाओं को थाने पर बिठा लिया।
प्रतिवर्ष की भांती इस बार कोरोना के कारण जांबाज तुर्रा और रुणजी के वीर कलंगी योद्धाओं के बीच युद्ध नहीं हो पाया। हिंगोट युद्ध काे लेकर पुलिस-प्रशासन ने ऐसी सख्ती दिखाई कि युद्ध मैदान के बीचोबीच तंबू लगा कर अस्थाई चौकी बना दी है। युद्ध के मैदान में किसी को जाने की अनुमति नहीं थी। सख्ती के बाद भी योद्धा मैदान में उतरने को तैयार थे। नाकाम रहने पर उन्होंने घरों से ही युद्ध शुरू कर दिया।
पुलिस-प्रशासन की सख्ती के बाद भी रविवार शाम साढ़े 5 बजे के करीब पंरपरा निभाने कलंगी और तुर्रा दल अपने-अपने घरों की छतों पर चढ़ गए। योद्धाओं ने यहीं से हिंगोट फेंकने शुरू कर दिए। हिंगोट फेंकते देख पुलिस ने क्षेत्र की गलियों में दौड़ लगा दी। पुलिस को देख ये भीतर भाग जाते और पुलिस के आगे बढ़ते ही फिर से हिंगोट छोड़ देते। यह सब देख ऐसा प्रतीत हो रहा था मानो इस बार तुर्रा और कलंगी के योद्धाओं के बीच युद्ध नहीं हो रहा है। बल्कि पुलिस और योद्धाओं के बीच युद्ध जारी है। योद्धा लगातार पुलिस को छकाते हुए हिंगोट फेंकते रहे। इस दौरान पुलिस की गाड़ी क्षेत्र में घूमकर हिंगोट नहीं खेलने के लिए भी समझाइश देती रही।
पुलिस पर फेंका हिंगोट
मैदान में हिंगोट युद्ध नहीं होने देने से कलंगी दल का गुस्साया एक योद्धा हिंगोट और ढाल लेकर सड़क पर उतर आया। पुलिस कर्मी रमेश गुर्जर उसे रोकने के लिए आगे बढ़े तो उसने उन पर ही हिंगोट छोड़ दिया। हिंगोट सिपाही के हाथ से टकराया और चेहरे की ओर उछल गया। गनीमत रही कि मास्क ने उनके चेहरे को झुलसने से बचा लिया। इसके बाद पुलिस ने उस योद्धा को दबोचा और पीटकर थाने पहुंचा दिया। इसी प्रकार तुर्रा दल का एक योद्धा चोरी छिपे हिंगोट युद्ध होने वाले मैदान में जा पहुंचा और वहां पर एक हिंगोट छोड़ दिया। इसके बाद पुलिस ने उसे भी दबोचा और पीटकर थाने पहुंचाया। पुलिस ने हिंगोट छोड़ने वाले अन्य तीन योद्धाओं को भी पकड़कर थाने पर बिठा लिया।
कोरोना काल में चुनाव हो सकते हैं, तो फिर युद्ध क्यों नहीं : विधायक
विधायक विशाल पटेल ने कहा कि हमने प्रयास किया था, लेकिन अधिकारियों ने कोरोना का बहाना बना लिया। हमने कहा कि जब कोरोना काल में चुनाव हो सकते हैं, तो फिर युद्ध क्यों नहीं? इस युद्ध में कोई द्वेष भावना नहीं रहती, लेकिन परंपरा चलते रहना चाहिए। भाजपा धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचा रही है। इस युद्ध में कोई हारता या जीतता नहीं है। इसकी अनुमति के लिए मुख्यमंत्री को भी पत्र नहीं लिखा गया है। पहली बार ऐसा हो रहा है कि युद्ध नहीं हो रहा है। तहसीलदार बजरंग बहादुर सिंह ने कहा कि कोविड के कारण बड़ा आयोजन नहीं करवाए जाने के निर्देश थे। ऐसे कार्यक्रम, जिसमें बड़ी संख्या में लोग जुटते हैं, ऐसे आयोजन नहीं किए जा सकते। हिंगोट युद्ध को दूर-दूर से लोग देखने आते हैं। ऐसे में यहां 15 से 20 हजार की भीड़ जुटती है, इसलिए आयोजन को अनुमति नहीं दी गई।
हिंगोट युद्ध की परंपरा कायम रहनी चाहिए
प्रशासन द्वारा अनुमति नहीं मिलने के बाद भी योद्धा युद्ध के लिए तैयार थे। उन्होंने हिंगोट तैयार कर झोले में रख लिए थे। योद्धाओं का कहना था कि हिंगोट युद्ध रुणजी - गौतमपुरा वासियों की सदियों पुरानी परंपरा है, जो विरासत में मिली है। एक योद्धा ने कहा कि जब चुनाव में इतनी भीड़ जुटी, तो फिर हिंगोट युद्ध को अनुमति क्यों नहीं? हमारा युद्ध भले ही 15 मिनट चले, लेकिन परंपरा कायम रहनी चाहिए।