इंदौर। सरकारी जमीन पर अतिक्रमण, सरकारी कर्मचारी पर बंदूक तानने एवं पड़ौसी के घर में घुसकर उसे धमकाने आदि के मामलों में गिरफ्तार किया गया नामदेव त्यागी उर्फ कम्प्यूटर बाबा ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी। हाई कोर्ट ने सुनवाई के बाद आदेश दिए कि एसडीएम पांच लाख रुपए की बैंक गारंटी स्वीकार करे। बैंक गारंटी स्वीकार करने में कोई परेशानी हो तो इतनी ही राशि के निजी बांड पर बाबा को जमानत दी जाए।
जिला न्यायालय में सोमवार को जमानत पर फैसला
वहीं, एट्रोसिटी एक्ट के मामले में हाई कोर्ट ने कहा कि सोमवार को ही उनकी अर्जी पर निचली अदालत सुनवाई कर आदेश पारित करे। अतिरिक्त महाधिवक्ता पुष्यमित्र भार्गव को निर्देश दिए कि केस डायरी पेश करवाने की व्यवस्था करें। बता दें कि बाबा के खिलाफ गांधी नगर और एरोड्रम थाने में मामले दर्ज हैं। इन पर सोमवार को निचली कोर्ट में सुनवाई के लिए कहा गया है।
हाईकोर्ट में बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका प्रस्तुत की थी
बाबा के वकील रविंद्र सिंह छाबड़ा ने बताया कि हमने हाईकोर्ट में बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका प्रस्तुत की थी। मामले में कांग्रेस नेता विवेक तन्खा ने ट्वीट किया कि कम्प्यूटर बाबा को हाई कोर्ट इंदौर बेंच ने राहत दी। उनके साथ न्याय होने का रास्ता खुला। क्या शिवराज सिंह चौहान व्यक्तिगत कारण से उनसे बहुत नाराज हैं। बाबा और उनके शिष्यों को चिन्हित कर नोटिस/कार्रवाई की जा रही है। मुख्यमंत्री जी क्या यही राजधर्म।
कम्प्यूटर बाबा को बैंक गारंटी नहीं मिली, एसडीएम ने जमानत नहीं दी
कम्प्यूटर बाबा की जमानत याचिका गुरुवार को दूसरी बार एसडीएम कोर्ट से खारिज हो गई थी। एसडीएम ने आदेश में बाबा द्वारा दी गई व्यक्तिगत गांरटी को अमान्य करते हुए पांच लाख की बैंक गारंटी व अन्य सुरक्षा कोर्ट में पेश करने पर ही जमानत पर विचार करने की बात कहकर दूसरी बार भी याचिका निरस्त कर दी थी। चौंकाने वाली बात यह है कि दिग्विजय सिंह और कांग्रेस पार्टी के लोग कम्प्यूटर बाबा के लिए 5 लाख रुपए की बैंक गारंटी का इंतजाम नहीं कर पाए।
8 नवंबर को जमींदोज किया था आश्रम
जिला प्रशासन ने 8 नवंबर को ग्राम जम्बूडी हप्सी के खसरा नंबर 610/1 और 610/2 की 46 एकड़ से ज्यादा जमीन में से दो एकड़ पर फैले लग्जरी आश्रम के अवैध कब्जे तोड़ने की बड़ी कार्रवाई को अंजाम दिया था। आश्रम को चार पोकलेन की मदद से ध्वस्त किया गया था। इस दौरान अशांति फैलाने के आरोप में बाबा और उनके सहयोगी रामचरण दास, संदीप द्विवेदी, रामबाबू यादव, मोनू पंडित, जगदीप सहित कुल सात लोगों को एसडीएम राजेश राठौर द्वारा अगले आदेश तक जेल भेज दिया गया था। कार्रवाई के दौरान करीब 100 जवानों के फोर्स के साथ एसपी पश्चिम महेशचंद जैन, एएसपी प्रशांत चौबे, तीन सीएसपी, पांच टीआई सहित कंट्रोल रूम का रिजर्व बल और डीआरपी लाइन के रिजर्व बल के जवान मौजूद थे।
9 नवंबर को भी दूसरे कब्जों को ढहाया था
प्रशासन ने सुपर कॉरिडोर पर करीब पांच करोड़ मूल्य की 20 हजार वर्गफीट जमीन मुक्त कराई थी। इसके लिए इस जमीन पर दो कमरे और करीब 1200 वर्गफीट पर निर्माण था। बाकी जमीन खुली थी। इसका कब्जा मुक्त होते ही आईडीए ने दोपहर में ही अफसरों को भेज दिया। सीईओ विवेक श्रोत्रिय के मुताबिक, यहां सड़क बनाई जाएगी। इसके बाद टीम अंबिकापुरी एक्सटेंशन के देवी मंदिर पहुंची। यहां बाबा ने कब्जा कर भवन बना रखा था। इसे लेकर रहवासी संघ कई शिकायतें कर चुका है। प्रशासन ने आश्रम खाली कराया और भवन रहवासी संघों को सौंप दिया। दीवार पर सूचना भी लिखवा दी कि अब ये सार्वजनिक संपत्ति है। इसका संचालन व रखरखाव अंबिकापुरी मेन व एक्सटेंशन रहवासी संघ करेगा।
आश्रम से 10 ट्रक सामान मिला था
आश्रम से दस ट्रक सामान निकला था। सामान हटाने में निगमकर्मियों को दो घंटे लग गए थे। इसमें महंगे सोफे, टीवी, एसी, फ्रिज, अलमारी, कार जो मूसाखेड़ी के किसी रमेश सिंह तोमर के नाम पर है। इसके अलावा बंदूक, बुलेट, महंगी क्रीम, साबुन आदि शामिल था।