JABALPUR बिजली कंपनी के एग्जीक्यूटिव इंजीनियर का आत्मघाती आदेश, जेल जा सकते हैं - MP NEWS

Bhopal Samachar
जबलपुर।
नीरज परस्ते, कार्यपालन अभियंता नगर संभाग पूर्व ने एक ऐसा आदेश जारी कर दिया है, जो ना केवल उनकी वरिष्ठता और योग्यता पर सवाल खड़ा करता है बल्कि उन्हें जेल भी भेज सकता है। श्री परस्ते ने कैंट इलाके की वाटर सप्लाई और स्ट्रीट लाइट बंद करवा दी है, और यही आदेश उनके लिए भारी पड़ सकता है। 

कैंट इलाके के हालात क्या है

नगर संभाग पूर्व ने सदर के कैंट इलाके में बिजली सप्लाई बंद कर दी है। इस वजह से दर्जनों स्ट्रीट लाइट सदर में बंद हो गई है। इसके अलावा बर्न कंपनी से लगी सड़क की भी पूरी सप्लाई बंद हो गई। नगर निगम के गढ़ा जोन भी सप्लाई बंद कर दी है। जिसके कारण विभाग के कम्प्यूटर सिस्टम बंद हो गए है। इसके अलावा पानी की सप्लाई को लेकर भी ऐसा ही किया गया है। विभाग ने पेयजल प्रदान करने वाले सार्वजनिक पंपों की भी सप्लाई बंद की है। 

नीरज परस्ते, कार्यपालन अभियंता नगर संभाग पूर्व का बयान 

नई दुनिया के पत्रकार को नीरज परस्ते, कार्यपालन अभियंता नगर संभाग पूर्व ने बयान दिया है कि सदर कैंट इलाके का 6 लाख से ज्यादा बिजली बिल बकाया होने के कारण बिजली सप्लाई बंद की गई है। जहां भी बकाया है उनके खिलाफ बिजली काटने की कार्रवाही हो रही है।

कानून क्या कहता है

उल्लेखनीय है कि भारतीय दंड संहिता की धारा 430 और 432 के तहत निर्माण कार्य, इंसानों एवं पशु पक्षियों के लिए पेयजल की सप्लाई को बाधित करना दंडनीय अपराध है। स्ट्रीट लाइट बंद होने से अपराध बढ़ते हैं और इस तरह एग्जीक्यूटिव इंजीनियर ने कैंट इलाके में अपराधियों को अवसर प्रदान किया है। यदि सूर्यास्त के बाद इस इलाके में कोई गंभीर अपराध होता है और स्ट्रीट लाइट बंद होने के कारण अपराधियों को अपराध करने और फरार होने में आसानी होती है तो स्ट्रीट लाइट बंद करने का आदेश देने वाला अधिकारी अपराध की साजिश में शामिल माना जा सकता है। शासकीय कार्यालय की बिजली सप्लाई बंद करने से यदि आम जनता को मिलने वाली सुविधाएं एवं आवश्यक शासकीय कार्य प्रभावित होते हैं तो ऐसी स्थिति में आदेश करता अधिकारी के खिलाफ शासकीय कार्य में बाधा का मामला दर्ज किया जा सकता है। 

तो फिर बिजली कंपनी वसूली के लिए क्या करे 

बिजली कंपनी एक शासकीय संस्था है और इसके अधिकारी शासकीय कर्मचारी। यदि ऐसा ना भी होता तब भी कंपनी और कंपनी के अधिकारी भारत के कानून और व्यवस्थाओं के अंतर्गत ही आते। जिस प्रकार उधारी वसूली के लिए आप किसी के घर के दरवाजे में ताला नहीं डाल सकते, उसी प्रकार बिजली कंपनी का अधिकारी बिल वसूली के लिए किसी व्यक्ति या आम जनता को प्रभावित करने वाले कदम नहीं उठा सकते। वसूली के लिए न्यायालय में वाद दाखिल किया जा सकता है। यदि नगर निगम न्यायालय में बकाया रकम जमा नहीं कराएगा तो उसकी संपत्ति कुर्की करके बिजली कंपनी को भुगतान किया जाएगा परंतु किसी भी स्थिति में पेयजल प्रदाय व्यवस्था को बाधित नहीं किया जा सकता।
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