सीएम सर, मध्यप्रदेश के युवा वर्ग की कुछ चिंताओं को पढ़िए - Khula Khat

Bhopal Samachar
माननीय मुख्यमंत्री जी
, कोरोना महामारी के बाद मध्य प्रदेश में उपचुनाव होने लगे तथा उप चुनावों के समय सरकार द्वारा रोजगार के अवसरों की कई घोषणाएं की गई एवं इसी सिलसिले में भर्ती विज्ञापन आना भी शुरू हो गए। मैं यहां मध्य प्रदेश शासन को युवा वर्ग की कुछ चिंताओं से अवगत कराना चाहता हूं जिनमें है:-

:- सबसे पहले मध्य प्रदेश के व्यापम द्वारा गैर राजपत्रित पदों के लिए आयोजित की जाने वाली सभी परीक्षाओं के लिए मूल निवासी अनिवार्य किया जाए।
:- मध्यप्रदेश में सिर्फ उसी व्यक्ति को मूलनिवासी दिया जाए, जिसने कम से कम 10 वर्षों तक मध्य प्रदेश में निवास किया हो और 10वीं या 12वीं इन दोनों में से किसी परीक्षा को मध्य प्रदेश बोर्ड द्वारा पास किया हो।
:-मध्य प्रदेश में आरक्षण का रोस्टर लगातार विवाद में रहा है। अतः इस आरक्षण की गुत्थी को जल्द से जल्द सुलझाया जाए ताकि मध्य प्रदेश का युवा सिर्फ परीक्षा ही ना दें बल्कि उस परीक्षा का रिजल्ट भी आए और उसका चयन भी हो।

:-बाकी सभी राज्यों में एक सबोर्डिनेट बोर्ड होता है जो गैर राजपत्रित पदों के लिए भर्ती आयोजित करता है लेकिन मध्यप्रदेश में ऐसी भर्ती व्यापम द्वारा कराई जाती हैं और व्यापम की विश्वसनीयता आम जनता और युवा वर्ग में कितनी है यह किसी से छुपी हुई नहीं है।
:-मध्यप्रदेश में जो भर्ती परीक्षाएं आयोजित की जाती हैं उसमें मध्य प्रदेश सामान्य ज्ञान अनिवार्य रूप से डाला जाए।
:-मध्यप्रदेश में जो भर्ती परीक्षा आयोजित होने वाली है उनका एक पूर्व निर्धारित कार्यक्रम घोषित हो जो किसी भी स्थिति में ना बदला जाए।

:-पिछले कई दिनों से ऐसा देखा जाता है कि व्यापम में कटऑफ का स्तर बहुत ऊंचा हो गया है अतः इस मामले में हम सभी युवाओं की यह सोच है कि जिन परीक्षार्थियों का कट ऑफ 80% से ऊपर हो उनका पुनः मूल्यांकन किया जाए ताकि भ्रष्टाचार की गुंजाइश को समाप्त किया जा सके।
:-उत्तर प्रदेश, राजस्थान और कई राज्यों में आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के लिए फीस में छूट प्रदान की जा रही है लेकिन मध्यप्रदेश में ईडब्ल्यूएस की फीस सामान्य के बराबर है अतः इसे कम करके ओबीसी, एससी, एसटी के बराबर किया जाए।

:-कई बार हमने देखा है ऑनलाइन परीक्षा में कई गलत प्रश्न पूछे गए हैं। जिससे परीक्षार्थियों मैं भ्रम की स्थिति पैदा होती है और परीक्षा एजेंसी की विश्वसनीयता पर सवाल उठते हैं अतः एजेंसी को यह चेतावनी दी जाए कि किसी भी परीक्षा में कोई प्रश्न गलत आता है तो परीक्षा पूर्ण रूप से निरस्त की जाएगी और संबंधित एजेंसी पर जुर्माना लगाया जाएगा।

:-ऑनलाइन एग्जाम कराने के बाद भी परीक्षा कराने वाली संस्था 3 से 6 महीने लगा देती है रिजल्ट देने में, जबकि उसका रिजल्ट 10 दिन में भी दिया जा सकता है मेरा निवेदन है कि जिस परीक्षा का ऑनलाइन एग्जाम कराया जाए उसका रिजल्ट 10 से 12 दिन में घोषित किया जाए।

इन सभी बातों के अलावा मध्य प्रदेश के प्रशासन को यह ध्यान देने की आवश्यकता है कि ऐसे कौन से कारण हैं जिनसे मध्य प्रदेश में बेरोजगारी की स्थिति चरम पर है और मध्य प्रदेश में आयोजित होने वाली परीक्षाओं में बाहरी राज्यों के युवाओं का सिलेक्शन कैसे हो जाता है? क्या हम इसके लिए परीक्षा में परीक्षा पद्धति में कोई बदलाव नहीं कर सकते कुछ ऐसे नियम नहीं बना सकते जिनसे मध्यप्रदेश के मूल निवासियों को फायदा हो।

यहां इस बात पर गौर करने की आवश्यकता है कि ऐसा कैसे हो जाता है कि मध्य प्रदेश में बाहरी राज्य का व्यक्ति इंजीनियरिंग करने आता है और मात्र 4 सालों में मध्यप्रदेश का मूल निवासी भी बन जाता है और वोटर भी बन जाता है और मध्य प्रदेश के युवाओं को मिलने वाले अधिकार उसको मिल जाते हैं।

आज हर राज्य क्षेत्रवाद को बढ़ावा दे रहा है महाराष्ट्र हो चाहे पंजाब में छत्तीसगढ़ में दक्षिण राज्यों में सभी में अपनी अपनी क्षेत्रीय भाषा होने के कारण वहां मध्य प्रदेश का युवा नौकरी पाने में असफल हो जाता है लेकिन इन सभी राज्यों के युवा मध्यप्रदेश में होने वाली भर्ती परीक्षाओं में ना केवल आवेदन करते हैं बल्कि चयनित भी हो जाते हैं।

हम सभी युवाओं की यह चिंता है कि मध्य प्रदेश के युवाओं के साथ भेदभाव हो रहा है। हम मध्य प्रदेश के प्रशासन एवं शासन से यह मांग करते हैं सभी राज्यों की तरह सबसे पहले मध्य प्रदेश के युवाओं की हितों की रक्षा की जाए ऐसे नियम बनाए जाएं ऐसे तरीके निकाले जाएं जिनसे मध्य प्रदेश के युवाओं को लाभ मिले अगर सभी राज्य अपनी नौकरियां अपने संसाधन अपने मूल निवासियों के लिए संरक्षित करते हैं तो मध्यपदेश क्यों ना करें। इन सभी मांगों के साथ मध्य प्रदेश के युवाओं की ओर से मैं निवेदन करता हूं।
रानू पाठक

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