भोपाल। मप्र शासन का अपने कर्मचारियों को दस हजार रूपये त्यौहार अग्रिम देने का फैसला स्वागत योग्य कदम है। मप्र तृतीय वर्ग शास कर्म संघ के प्रांतीय उपाध्यक्ष कन्हैयालाल लक्षकार ने जारी प्रेस नोट में बताया कि "प्रदेश सरकार ने चालीस हजार तक मासिक वेतन वाले कर्मचारियों को दस-दस हजार रूपये ऋण देने का जो निर्णय लिया है, उसमें संशोधन की दरकार है। इसकी वसूली दस समान किश्तों में होना हैं।"
मप्र तृतीय वर्ग शास कर्म संघ मांग करता है कि "प्रदेश सरकार" चालीस हजार तक मासिक वेतन वाली सीलिंग समाप्त कर सभी चतुर्थ एवं तृतीय श्रेणी कर्मचारियों को इसका दीपावली पूर्व समान भुगतान करें।" कोरोना के बहाने प्रदेश सरकार ने जुलाई 2019 से पांच फीसदी डीए, जुलाई 2020 से तीन फीसदी नियमित वेतन वृद्धि व छठें/सातवेतनमान से उत्पन्न देय एरियर की किश्त सहित सैकड़ों करोड़ रुपये के स्वत्वों को रोक रखा है। ऐसे में त्यौहार अग्रिम के रूप में दी जाने वाली दस-दस हजार रूपये वाली राशि को ऋण मानकर दस समान किश्तों में वसूली का प्रावधान निरस्त कर रोके गये स्वत्वों से समायोजित किया जाना ज्यादा श्रेयस्कर होगा।
कर्मचारियों को अपने स्वत्वों के भुगतान से उत्साह पूर्वक त्यौहार मनाने से बाजार बूम-बूम होगा, व्यापार में वृद्धि व सरकार को जीएसटी के रूप में अपेक्षाकृत अधिक आय होगी। वैसे भी भारत सरकार के ताजा आंकड़ें एक लाख करोड़ रुपये जीएसटी के रूप में रिकार्ड वसूली के संकेत बताते है कि जन जीवन तेजी से सामान्य व अर्थव्यवस्था पटरी पर लौट रही है।