Madhya Pradesh High Court's decision in the case of private school teachers salary
जबलपुर। मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने प्राइवेट स्कूल संचालकों को आदेशित किया है कि वह कोरोना के नाम पर प्राइवेट स्कूल टीचर्स की सैलरी में 20% से ज्यादा की कटौती नहीं कर सकते। एक्टिंग चीफ जस्टिस संजय यादव व जस्टिस राजीव कुमार दुबे की डिवीजन बेंच ने अपने फैसले में स्कूलों के शिक्षकों सहित अन्य स्टाफ को भी राहत दी है।कोरोना महामारी खत्म होने पर काटा हुआ वेतन देना पड़ेगा: मध्य प्रदेश हाई कोर्ट
बेंच ने कहा है कि शिक्षकों व स्टाफ का वेतन 20 फीसदी से ज्यादा नहीं काटा जा सकेगा। इसके अलावा महामारी समाप्त होने के बाद काटी की गई सैलरी भी शिक्षकों को देना होगी। कोर्ट ने 10 याचिकाओं पर एक साथ सुनवाई करने के बाद 6 अक्टूबर को फैसला सुरक्षित रख लिया था। इसके अलावा हाईकोर्ट ने आदेशित किया आएगी प्राइवेट स्कूल ट्यूशन फीस के अलावा किसी भी प्रकार का शुल्क वसूल नहीं सकते। जब तक कोरोनावायरस महामारी रहेगी, तब तक यह आदेश प्रभावी रहेगा।
ग्राउंड जीरो की स्थिति: स्कूलों ने कर्मचारियों की सेवाएं समाप्त कर दी टीचर्स की 50% सैलरी काटी है
ग्राउंड जीरो की स्थिति यह है कि ज्यादातर स्कूलों ने उन कर्मचारियों की सेवाएं समाप्त कर दी जिनकी उपयोगिता इस शिक्षण सत्र में नहीं थी। ऑनलाइन क्लास संचालित करने वाले टीचर्स को केवल 50% सैलरी दी जा रही है। किसी भी प्रकार की आवाज उठाने पर उनकी सेवाएं समाप्त कर दी जाती है।
प्राइवेट स्कूल टीचर्स अब क्या करें
मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के आदेश के बाद यदि स्कूल संचालक उनकी वेतन विसंगति दूर नहीं करता तो उन्हें किसी भी प्रकार का विरोध प्रदर्शन करने की जरूरत नहीं है बल्कि नियमित रूप से अपना काम करते रहें और जबलपुर हाई कोर्ट द्वारा दिए गए इस फैसले की सत्यापित प्रतिलिपि प्राप्त करें। महामारी खत्म हो जाने के बाद बकाया वेतन वसूली के लिए वाद दायर कर सकते हैं।