भोपाल। सन 2018 में केंद्र की 40 साल की राजनीति का अनुभव छोड़कर कमलनाथ राज्य स्तर की राजनीति करने मध्यप्रदेश आए थे परंतु अहमद भाई पटेल के चले जाने के बाद हालात बदल गए हैं। माना जा रहा है कि कमलनाथ दिल्ली वापस जाएंगे क्योंकि मध्य प्रदेश कांग्रेस कमेटी से ज्यादा अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी को इंदिरा गांधी के तीसरे बेटे की जरूरत है।
अहमद पटेल की जगह लेने वाला गांधी परिवार का नजदीकी होना जरूरी है
कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने पिछले साल 31 दिसंबर को अहमद पटेल के कामकाज में हाथ बंटाने के लिए पंजाब सरकार में मंत्री विजय सिंगला को उनके साथ सचिव नियुक्त किया था, पर मौजूदा राजनीतिक स्थिति को देखते हुए पार्टी किसी वरिष्ठ नेता को कोषाध्यक्ष की जिम्मेदारी सौंपेगी। कोषाध्यक्ष पद के लिए राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ, केसी वेणुगोपाल और मिलिंद देवड़ा सहित कई नाम चर्चा में हैं, लेकिन सबसे ज्यादा ध्यान देने वाली बात यह है कि अहमद भाई की जगह रहने वाला केवल वरिष्ठ कांग्रेसी ही नहीं बल्कि गांधी परिवार का नजदीकी भी होना चाहिए।
केसी वेणुगोपाल संगठन के आदमी हैं, कमलनाथ मैनेजमेंट में माहिर
केसी वेणुगोपाल वर्तमान में महासचिव के पद पर हैं। कहते हैं कि वेणुगोपाल की ईमानदारी का लोहा तो राहुल गांधी भी मानते हैं, लेकिन उन्हें संगठन की इतने महत्वपूर्ण पद से मुक्त नहीं किया जा सकता। जबकि पार्टी को उनकी जरूरत है। दूसरे नंबर पर कमलनाथ का नाम है। कमलनाथ वरिष्ठ हैं, गांधी परिवार के नजदीकी है, मैनेजमेंट में माहिर है, सभी गुटों को और सभी तरह के नेताओं को साथ लेकर चलने की कला में निपुण है और सबसे बड़ी बात है कि फिलहाल कमलनाथ के पास कोई बड़ी जिम्मेदारी नहीं है।
मिलिंद देवड़ा, कमलनाथ के लिए हानिकारक हो सकते हैं
यदि कमलनाथ गांधी परिवार के बजाय मध्य प्रदेश को चुनते हैं और कोषाध्यक्ष के पद पर मिलिंद देवड़ा को बिठाया जाता है तो यह कमलनाथ के लिए हानिकारक हो सकता है। ऐसी स्थिति में नकुल नाथ के लिए मध्यप्रदेश में जमीन तैयार करना तो दूर की बात, कांग्रेस पार्टी से अपने रिटायरमेंट को रोकना कमलनाथ के लिए चुनौतीपूर्ण हो जाएगा। जबकि यदि कमलनाथ, अर्जुन सिंह की तरह दिल्ली चले जाते हैं तो मध्यप्रदेश में नकुल नाथ के लिए संभावनाएं बना सकते हैं।