ग्वालियर। निर्दोष नागरिक श्री अरुण शर्मा को ₹5000 का इनामी बदमाश बताकर गिरफ्तार करने के मामले में मध्यप्रदेश हाईकोर्ट की ग्वालियर बेंच ने पुलिस अधीक्षक को तलब किया है। हाईकोर्ट में पीड़ित व्यक्ति को मुआवजा और जिम्मेदार व्यक्ति को दंडित किए जाने पर बहस होनी है। एसपी ग्वालियर ने इस मामले में टीआई को लाइन अटैच कर दिया था परंतु मामला शांत होते ही फिर से थाने में तैनात कर दिया। आरोपी टी आई के खिलाफ डिपार्टमेंटल इंक्वायरी का मुद्दा उठाया जा सकता है।
ग्वालियर एसपी ने विवाद शांत होते ही टीआई को फिर से थाने में तैनात कर दिया था
बहोड़ापुर थाना पुलिस ने लक्ष्मण तलैया निवासी अरुण शर्मा को 14 अगस्त 2020 को गिरफ्तार किया था। पुलिस ने उसे ₹5000 का इनामी बदमाश बता दिया था। यह मामला पुलिस अधीक्षक के पास पहुंचा तो मामले की जांच हुई। जांच में पता चला कि गलत व्यक्ति को गिरफ्तार कर लिया है। पुलिस ने अरुण शर्मा को मीडिया के सामने भी पेश कर दिया था। गलती का अहसास हाेने पर एसपी ने थाना प्रभारी दिनेश राजपूत को निलंबित कर लाइन अटैच कर दिया था। कुछ दिन बीतने के बाद बहाल करके उसे थाने पर तैनात कर दिया।
हाईकोर्ट ने ग्वालियर एसपी को तलब किया
इस पूरे मामले को लेकर अरुण शर्मा ने हाई कोर्ट में याचिका दायर की है। हाई कोर्ट का नोटिस आने पर एसपी ने जवाब में गलत व्यक्ति को गिरफ्तार किए जाने की बात स्वीकार की। थाना प्रभारी काे निलंबित भी किया और 5 हजार रुपये का जुर्माना भी लिया। याचिकाकर्ता के अधिवक्ता सुरेश अग्रवाल ने तर्क दिया कि एक निर्दोष व्यक्ति को पुलिस ने गिरफ्तार किया और उसे अपराधी के रूप में समाज में पेश कर दिया। इससे उसकी समाज में काफी क्षति हुई है। 2 नवंबर की सुनवाई के दौरान महाधिवक्ता पुरुषेन्द्र कौरव पक्ष रखने के लिए उपस्थित हुए थे। उन्होंने अरुण शर्मा के फोटो इंटरनेट मीडिया व अखबारों में छपवाने को गलती भी मानी थी। हाई काेर्ट ने अब नाै नवंबर काे पुलिस अधीक्षक को तलब किया है।