नई दिल्ली। कोरोना वायरस महामारी को दुनिया में आए हुए एक साल पूरा होने वाला है। जहां एक ओर वैक्सीन के सफल होने की खबर आ रही है, वहीं सालभर बाद भी कोरोना वायरस को लेकर रिसर्च में नए-नए खुलासे हो रहे हैं। अब ताजा रिसर्च के बाद ऐसे मरीजों को ज्यादा सावधान रहने की जरूरत है, जिनका कोलेस्ट्रॉल लेवल ज्यादा बढ़ा हुआ रहता है। शरीर में कोरोना वायरस के संक्रमण को लेकर नए अध्ययन में पाया गया है कि कोविड-19 की वजह बनने वाला सार्स-कोवी-2 वायरस हमारी कोशिकाओं (Cells) के आंतरिक कोलेस्ट्रॉल प्रोसेसिंग सिस्टम पर भी कब्जा कर सकता है। इसके बाद यह इसकी मदद से यह घातक वायरस शरीर में फैल सकता है।
नेचर मेटाबोलिज्म मैग्जीन में छपा अध्ययन
हाल ही में नेचर मेटाबोलिज्म मैग्जीन में छपे अध्ययन में दावा किया गया है कि कोलेस्ट्रॉल मेटाबोलिज्म और कोविड-19 के बीच एक मॉलीक्यूलर जुड़ाव की पहचान की गई है। यह शोध चीन में किया गया है। एकेडमी ऑफ मिलिट्री मेडिकल साइंसेज के रिसर्चर ने बताया कि सार्स-कोवी-2 वायरस मानव कोशिकाओं पर मौजूद एक रिसेप्टर से जुड़ जाता है। ये कोशिकाएं आमतौर पर HDL (हाई डेंसिटी लेपोप्रोटीन) कोलेस्ट्रॉल से जुड़ी होती हैं। इसे अच्छा कोलेस्ट्रॉल भी कहा जाता है।
शोधकर्ताओं ने जब एचडीएल कोलेस्ट्रॉल को बाधित कर दिया तो वायरस कोशिकाओं से जुड़ने में सक्षम नहीं रह गए। शोध में यह भी पता चला कि कि सार्स-कोवी-2 वायरस संक्रमण के प्रसार के लिए कोशिकाओं के आंतरिक कोलेस्ट्रॉल तंत्र का इस्तेमाल कर सकता है। शोधकर्ताओं का कहना है कि ऐसा लगता है जैसे वायरस कोशिकाओं के कोलेस्ट्रॉल तंत्र को नियंत्रित कर कोशिकाओं को संक्रमित करता है, लेकिन यह पाया गया है कि जब एक मोनोक्लोनल एंटीबॉडी की मदद से इस रास्ते को बंद किया जाता है तो वायरल संक्रमण रुक जाता है। हालांकि यह अध्ययन प्रारंभिक चरण में है, लेकिन इससे कोरोना के इलाज में काफी मदद मिल सकती है।