इंदौर। इंदौर पुलिस ने एक छापामार कार्रवाई के दौरान ऐसे कॉल सेंटर को पकड़ा है जो खुद को अमेरिका की विजिलेंस एजेंसी बता कर काम कर रहा था। इस फर्जी एजेंसी का सरगना और ज्यादातर कर्मचारी गुजरात के हैं। इन्होंने इंदौर में आकर अपना ऑफिस खोला और अमेरिका के नागरिकों के साथ चौथ वसूली का धंधा शुरू किया। इस रैकेट के पास अमेरिकी नागरिकों के सोशल सिक्योरिटी नंबर (एसएसएन) उपलब्ध थे। इसके आधार पर एजेंसी के लोग अमेरिका के नागरिकों को फोन करके किसी अपराध में फंसाने की धमकी देते थे और फिर रिश्वत के तौर पर मोटी रकम वसूलते थे। अमेरिका की फर्जी विजिलेंस एजेंसी एजेंट अमेरिका में मौजूद है और करोड़ों रुपए की अमेरिका से चीन होते हुए भारत लाई जाती थी।
इंदौर में कंपनी का ऑफिस, अमेरिका में एजेंट, कर्मचारी गुजरात के, लेन-देन बिटकॉइन में
डीआईजी हरिनारायण चारी मिश्र के मुताबिक, यह पता लगाया जा रहा है कि अमेरिकी नागरिकों से ठगी के बाद उनके डॉलर में आने वाले पैसों को ये कैसे भारतीय मुद्रा में कन्वर्ट कराते थे। इनके सोर्स क्या हैं। प्राथमिक जांच में अमेरिका में भी इनके एजेंट होने की बात पता चली है, जो बिटक्वाइन के जरिए वाया चीन कॉल सेंटर तक रुपए भेजते थे। इसके अलावा कॉल सेंटर से पकड़े गए 21 युवक-युवतियों में से अधिकांश गुजरात के हैं। इनसे कई तरह के सॉफ्टेवयर और इंटरनेट कॉलिंग के सिस्टम मिले हैं।
अमेरिका के नागरिकों को धमकी देकर वसूली के धंधे में 10% इंसेंटिव
यहां के कर्मचारी अमेरिकी नागरिकों से उनके सोशल सिक्योरिटी नंबर के नाम पर उन्हें ड्रग्स ट्रैफिकिंग, मनी लॉन्ड्रिंग और बैंक फ्रॉड या एंटी नेशनल गतिविधियों में शामिल होने का कहकर डराते थे। फिर गिरोह के क्लोजर व टेक्नो हेड से बात करवा कर ठगते थे। कॉल सेंटर से पकड़े गए मैनेजर और आईटी हेड ने बताया कि उनके यहां काम करने वाला कर्मचारी एक दिन में 100 अमेरिकी लोगों को फोन करता है। इनमें से चार अमेरिकी भी यदि जाल में फंस जाते हैं तो 15 से 20 लाख का खेल हो जाता है। कई बार कुछ कर्मचारी 5 से 10 लाख का ही बिजनेस कर पाते हैं। इन्हें बढ़ावा देने के लिए हर ठगी पर 10% का कमीशन इन्सेंटिव के रूप में दिया जाता है। डीआईजी ने बताया कि इंटरनेशनल रैकेट होने के कारण इस केस में भी FBI को ई-मेल के जरिए जानकारी भेजी गई है।
धंधे में उतारने से पहले कर्मचारियों को ट्रेनिंग दी जाती थी
डीआईजी ने बताया कि अमेरिकी नागरिकों को ठगने के लिए हर कर्मचारी को 15 से 20 प्रश्नों की स्क्रिप्ट दी जाती थी। उसमें हर तरह के क्रॉस प्रश्न रहते थे। यदि कर्मचारी कहीं खुद उलझता नजर आता तो क्लोजर और उसके बाद अंत में टेक्नो हेड (जो सबसे ज्यादा एक्सपर्ट) होते हैं वे चर्चा करते थे। इनके पास हर तरह के क्रॉस प्रश्नों का डाटाबेस है। किस सवाल पर कैसे और क्या जवाब देना है। डीआईजी ने कॉल सेंटर के कर्मचारियों से अमेरिका में एक नागरिक को उसके चुराए डेटा के आधार पर ठगी करने के तरीके को लाइव उदाहरण देकर भी समझा है।
फर्जी विजिलेंस एजेंसी से 16 लड़के और 3 लड़कियां गिरफ्तार, सरगना फरार
गुरुवार देर रात छापा मारकर पुलिस ने मैनेजर जोशी फ्रांसिस, आईटी हेड जयराज पटेल सहित 16 लड़के और 3 लड़कियों को गिरफ्तार किया है। इस कॉल सेंटर का संचालक करण भट्ट है, जो अहमदाबाद का है। वह अभी फरार है। यहां से कम्प्यूटर और बाकी सामान भी जब्त किया गया है।