भोपाल। डॉ नरोत्तम मिश्रा के गृह मंत्रालय के अंतर्गत पुलिस मुख्यालय ने मध्यप्रदेश में बदमाशों के सार्वजनिक जुलूस पर रोक लगा दी है। सभी जिलों के पुलिस अधीक्षकों को इस संदर्भ में आदेश जारी कर दिए गए हैं और स्पष्ट लिखा गया है कि आदेश तत्काल प्रभाव से लागू माने जाएं। इससे पहले आरोपियों के फोटो जारी करने पर भी रोक लगा दी गई थी। न्यायालय का मानना है कि किसी भी आरोपी की गिरफ्तारी मामले में इन्वेस्टिगेशन की एक प्रक्रिया का हिस्सा मात्र है। गिरफ्तार व्यक्ति दोषी नहीं होता।
पुलिस किसी की गिरफ्तारी का तमाशा ना बनाएं
पुलिस मुख्यालय मध्यप्रदेश ने इस संबंध में प्रदेश के सभी एडीजी, आईजी, डीआईजी और एसपी को निर्देश जारी कर दिए हैं। इसमें कहा गया है कि अब जुलूस निकालने पर रोक लगा दी गई है। आरोपी, संदेही और गिरफ्तार लोगों को पुलिस सार्वजनिक नहीं करेगी। सभी पुलिस अधीक्षकों को इस आदेश का कड़ाई से पालन करना होगा। अपराध अनुसंधान विभाग के एडीजी कैलाश मकवाना ने यह आदेश जारी किए। इतना ही नहीं किसी आरोपी या संदेही के फोटो भी सार्वजनिक नहीं किए जाएंगे।
बदमाशों में खौफ बनाने जुलूस निकाला जाता था
मध्यप्रदेश पुलिस ने बदमाशों और अपराधियों में पुलिस का खौफ पैदा करने के साथ ही लोगों में विश्वास बनाने के इरादे से इनका जुलूस निकालना शुरू किया था। इसका एक उद्देश्य यह भी था कि लोग इनके बारे में जाने, ताकि ऐसे लोगों से बचकर रहें। इसमें मुख्य रूप से चोरी, लूट, रेप, छेड़छाड़ और गुंडागर्दी करने वाले आदतन अपराधी होते थे। पिछले दिनों हाई कोर्ट ने एक फैसला सुनाते हुए पुलिस को आरोपियों और संदिग्धों के फोटो जारी करने से रोक लगा दी थी। इसके बाद से मध्यप्रदेश में पुलिस ने सार्वजनिक रूप से आरोपी, संदेही और गिरफ्तार लोगों के फोटो देना बंद कर दिया।