जबलपुर। मध्यप्रदेश में सरकारी नौकरी के लिए प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे और भर्ती परीक्षा पास करने के बाद नियुक्ति का इंतजार कर रहे उम्मीदवारों के लिए बुरी खबर है। मध्यप्रदेश की शिवराज सिंह सरकार ने हाईकोर्ट में कहा है कि भर्ती परीक्षा के परिणाम यानी चयन सूची में नाम होने से कोई उम्मीदवार सरकारी नौकरी प्राप्त करने का हकदार नहीं हो जाता। जब तक कि उसे नियुक्ति पत्र ना दिया जाए। सरकार की इस पॉलिसी के कारण हाईकोर्ट में चयनित उम्मीदवारों की सूची में दर्ज अतिथि विद्वान की याचिका खारिज हो गई।
अतिथि विद्वान चयन परीक्षा पास उम्मीदवार ने नियुक्ति के लिए याचिका लगाई थी
जबलपुर स्थित मध्य प्रदेश हाईकोर्ट में कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश संजय यादव व जस्टिस विजय कुमार शुक्ला की युगलपीठ के समक्ष मामले की सुनवाई हुई। इस दौरान याचिकाकर्ता खंडवा निवासी सुनील कुमार शर्मा की ओर से अधिवक्ता संदीप कुमार मिश्रा ने पक्ष रखा। उन्होंने दलील दी कि याचिकाकर्ता एमफिल डिग्रीधारी है और खेल के क्षेत्र में सराहनीय प्रदर्शन कर चुका है। वह 2018-19 में अतिथि विद्वान की ऑनलाइन परीक्षा में शामिल हुआ था। वह सफल रहा, लेकिन उसे नियुक्ति पत्र प्रदान नहीं किया गया। लिहाजा, नियुक्ति प्रदान करने का आदेश जारी किया जाए।
चयन सूची जारी करने का मतलब नियुक्ति की गारंटी नहीं: हाईकोर्ट में मध्यप्रदेश शासन ने कहा
बहस के दौरान मध्यप्रदेश शासन की ओर से उप महाधिवक्ता स्वप्निल गांगुली खड़े हुए। उन्होंने भी याचिका का नियुक्ति पत्र के अभाव के बिंदु पर विरोध किया। कोर्ट ने तर्क से सहमत होकर याचिका खारिज कर दी। कोर्ट ने साफ किया कि याचिकाकर्ता परीक्षा में शामिल हुआ और सफल भी रहा, तो उसके पास नियुक्ति पत्र होना चाहिए था। यदि नियुक्ति पत्र के साथ याचिका दायर की गई होती, तो याचिका सार्थक कहलाती और राहतकारी आदेश भी दिया जा सकता था लेकिन अधूरी याचिका दायर करने की गलती की गई। इसीलिए याचिका खारिज की जाती है।