भोपाल। मध्यप्रदेश की शिवराज सिंह सरकार ने कुकुरमुत्तों की तरह खुल रहे नर्सिंग कॉलेजों को कंट्रोल करने के लिए मान्यता के नए प्रावधान लागू कर दिए हैं। नवीन नियम वर्ष 2021-22 से लागू होंगे। फिलहाल मध्यप्रदेश में 39 सरकारी और 450 प्राइवेट नर्सिंग कॉलेज संचालित हैं जिन्हें शिक्षा सत्र 2019-20 के लिए मान्यता दी गई थी।
तय समय में बिल्डिंग नहीं बनाई तो लगेगी दस लाख की पेनाल्टी
संस्था का खुद का भवन नहीं है तो उसे आवेदन के समय 10 लाख की बैंक गारंटी देनी होगी। यदि संस्था अगले पांच वर्ष तक भी अपनी बिल्डिंग नहीं बनाती तो उस पर दस लाख की पेनाल्टी लगेगी।
यदि नर्सिंग कॉलेज की मान्यता लेने वाली संस्था का खुद का भवन है तो उस जमीन का समिति/ट्रस्ट या कंपनी के नाम पर पंजीयन होना आवश्यक है।
यदि कोई संस्था जिला, तहसील या ब्लॉक के नाम का परिवर्तन कराती है तो उसे नई संस्था के रूप में आवेदन करना होगा।
नर्सिंग कॉलेज का खुद का निजी अस्पताल या संबद्ध अस्पताल कॉलेज से तीस किमी से ज्यादा दूर नहीं होना चाहिए। यदि अनुसूचित क्षेत्र में हैं तो यह सीमा अधिकतम 50 किमी होगी।
ग्वालियर चंबल में एक-एक कमरे में कई नर्सिंग कॉलेज चल रहे हैं: चिकित्सा शिक्षा मंत्री
क्वालिटी एजुकेशन जरूरी है। ग्वालियर और चंबल क्षेत्र में कई ऐसी शिकायतें थी कि एक-एक कमरों में बोर्ड लगाकर नर्सिंग कॉलेज संचालित हो रहे हैं। नए प्रावधानों से इन पर न केवल लगाम लगेगी, बल्कि भ्रष्टाचार भी खत्म होगा। गुणवत्ता बढ़ेगी। -विश्वास सारंग, चिकित्सा शिक्षा मंत्री