भोपाल। जिस समाज में 32 सीटर यात्री बस की टिकट बुक करने के बाद उसे रद्द नहीं कर पाते उसी मध्यप्रदेश में प्रोफेशनल एग्जामिनेशन बोर्ड भोपाल ने 300000 से ज्यादा उम्मीदवारों की परीक्षा बिना किसी उचित कारण के परीक्षा से 2 दिन पहले स्थगित कर दी। जबकि ज्यादातर उम्मीदवार अपने रिजर्वेशन करा चुके थे। परीक्षा को स्थगित करने का जो कारण सामने आया है, इससे ज्यादा हास्यास्पद मैनेजमेंट परीक्षा और चुनाव जैसे मामलों में पहले कभी नहीं देखा गया।
MPPEB चेयरमैन और एजेंसी के विवाद के कारण परीक्षा स्थगित हुई है
प्रोफेशनल एग्जामिनेशन बोर्ड (पीईबी) द्वारा 20 नवंबर से आयोजित की जाने वाली जेल प्रहरी भर्ती परीक्षा ठीक दो दिन पहले बुधवार को स्थगित कर दी गई। कारण पूछने पर बताया गया कि प्रोफेशनल एग्जामिनेशन बोर्ड ने इस परीक्षा को आयोजित करने के लिए एक नई एजेंसी को अनुबंधित किया है। एजेंसी ने प्रवेश पत्र जारी करने के बाद 3 परीक्षा केंद्र बदल दिए इससे नाराज होकर प्रोफेशनल एग्जामिनेशन बोर्ड के चेयरमैन केके सिंह ने परीक्षा स्थगित कर दी।
चेयरमैन को गुस्सा आया और परीक्षा स्थगित
बताया जा रहा है कि पीईबी के चेयरमैन केके सिंह द्वारा स्पष्ट निर्देश दिए गए ऐसी व्यवस्था बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं की जाएगी। एजेंसी द्वारा इंदौर, ग्वालियर व उज्जैन में बने केंद्र बदले गए। पीईबी ने इसे स्वीकार नहीं किया। पीईबी अब किसी तरह की बदनामी नहीं चाहता है। इसलिए कदम उठाया गया। कुल मिलाकर PEB के चेयरमैन को गुस्सा आया और उन्होंने परीक्षा स्थगित कर दी। लड़ाई एजेंसी और चेयरमैन के बीच है तो फिर तीन लाख उम्मीदवारों को क्यों परेशान किया गया।
केवल तीन केंद्रों की परीक्षा स्थगित करते, 70 केंद्रों की क्यों की
प्रोफेशनल एग्जामिनेशन बोर्ड द्वारा बताया गया है कि एजेंसी द्वारा पीईबी को 15 शहरों में बने 70 परीक्षा केंद्रों की सूची सौंपी थी। इन पर जेल प्रहरी परीक्षा 20 नवंबर से 2 दिसंबर तक होनी थी। इसमें शामिल होने के लिए 3 लाख 7 हजार उम्मीदवारों को प्रवेश पत्र जारी किए गए थे। प्रवेश पत्र जारी करने के बाद एजेंसी ने 70 में से 3 केंद्र बदल दिए इसलिए चेयरमैन ने परीक्षा स्थगित कर दी। सवाल यह है कि यदि 3 केंद्र बदले गए थे तो केवल 3 केंद्रों की परीक्षा स्थगित कर दी। 300000 उम्मीदवारों को परेशान क्यों किया। इससे पहले भी तो नकल के मामले और तकनीकी बहाने बनाकर कुछ केंद्रों की परीक्षाएं दोबारा कराई गई थी। कहीं मामला कुछ और तो नहीं।
उम्मीदवारों के रिजर्वेशन का पैसा क्या चेयरमैन वापस करेंगे
20 तारीख से परीक्षा शुरू होनी है, लगभग सभी उम्मीदवार रिजर्वेशन करा चुके हैं। सवाल है कि इनके रिजर्वेशन में खर्च हुआ पैसा कौन वापस करेगा। चेयरमैन ने एकतरफा डिसीजन लिया है, जो अनुचित भी है। चेयरमैन को इस तरह 300000 उम्मीदवारों को अचानक परेशान करने का अधिकार किसने दिया। क्या सरकार में कोई है जो चेयरमैन से इस बारे में सवाल जवाब करेगा।
किस्सा भ्रष्टाचार का तो नहीं
जब कुछ असामान्य होता है तो सवाल उठते हैं। केवल तीन केंद्रों में व्यवस्था गड़बड़ाने के कारण 70 केंद्रों की परीक्षा स्थगित कर देना, अनीतिगत, अन्याय पूर्ण निर्णय है और पद का दुरुपयोग भी। इस मामले ने सरकार के सामने विचार के लिए एक नया बिंदु रख दिया है, क्या प्रोफेशनल एग्जामिनेशन बोर्ड के चेयरमैन को इस तरह एकतरफा डिसीजन लेने का अधिकार दिया जाना चाहिए। कहीं ऐसा तो नहीं कि एजेंसी की आंच पर चेयरमैन अपनी खिचड़ी पकाने की कोशिश कर रहे हो, परीक्षा की तारीख आ गई लेकिन खिचड़ी नहीं बन पाई इसलिए एजेंसी को सबक सिखाने के लिए चेयरमैन ने परीक्षा स्थगित कर दी। चेयरमैन को चाहिए कि वह इस मामले में खुली प्रेस कॉन्फ्रेंस करें और सवालों का सीधा जवाब दे।