नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने दिल्ली समेत पूरे एन सी आर में पटाखों की बिक्री और इस्तेमाल पर रोक लगा दी है। यह प्रतिबन्ध आज रात से लागू हो गया है और 30 नवंबर तक रहेगा। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने कहा कि यह आदेश देश के उन सभी कस्बों और शहरों में भी लागू होगा जहां पिछले साल नवंबर में हवा की क्वालिटी का लेवल पूअर या इससे ऊपर की कैटेगरी तक चला गया था।
दीपावली का पर्व शुभ और लाभ की आराधना का पर्व होता है
बढ़ते प्रदूषण और कोरोना को देखते हुए यह फैसला लिया गया है। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने कहा है कि पटाखे खुशियां मनाने के लिए चलाए जाते हैं, मौतों और बीमारियों के लिए नहीं। सही अर्थों में दीपावली का पर्व शुभ और लाभ की आराधना का ही पर्व होता है। पर्यावरण की शुद्धता से बड़ा कोई लाभ नहीं है, सबको इस बार इस शुभ -लाभ का संकल्प लेना चाहिए।
विकास के नाम पर औद्योगिक इकाइयों को धुआं फैलाने की खुली छूट
वैसे इस देश में विकास के नाम पर औद्योगिक इकाइयों को धुआं फैलाने की खुली छूट मिल जाती है। औद्योगिक इकाइयां, बिल्डर और खनन माफिया पर्यावरण संरक्षण कानूनों की खुलेआम अनदेखी करते हैं। औद्योगिक इकाइयों के अलावा वाहनों की बढ़ती संख्या, धुआं छोड़ती पुरानी डीजल गाड़ियां, निर्माण कार्य और टूटी सड़कों की वजह से हवा में धूल का उड़ना भी प्रदूषण की बड़ी वजह हैं। प्रदूषण को लेकर सख्त नियम हैं, लेकिन उनको लागू करने वाला कोई नहीं है। उत्तर भारत में तो वायु प्रदूषण का असर लोगों की औसत आयु पर पड़ रहा है।
भारत में 34 प्रतिशत मौत के लिए प्रदूषण जिम्मेदार
कुछ समय पहले एक शोध संस्था एनर्जी पॉलिसी इंस्टीट्यूट ने वायु गुणवत्ता जीवन सूचकांक जारी किया था। इसमें उत्तर भारत मैदानी इलाकों में रह रहे लोगों की औसत आयु लगभग सात वर्ष तक कम होने की आशंका जतायी थी। रिपोर्ट के अनुसार देश के कई जिलों में भी लोगों का जीवनकाल प्रदूषण के कारण घट रहा है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कुछ समय पहले एक और गंभीर तथ्य की ओर इशारा किया था कि भारत में 34 प्रतिशत मौत के लिए प्रदूषण जिम्मेदार है। वायु प्रदूषण से हृदय व सांस संबंधी बीमारियां और फेफड़ों का कैंसर जैसे घातक रोग तक हो जाते हैं।
लॉकडाउन के दौरान अहसास हुआ, साफ हवा क्या होती है
वैसे वायु प्रदूषण पूरे उत्तरी भारत के लिए एक बड़ी चुनौती है, भारत की आबादी का 40 प्रतिशत से अधिक हिस्सा इसी क्षेत्र में रहता है। वायु प्रदूषण के शिकार सबसे ज्यादा बच्चे और बुजुर्ग होते है। एक आकलन के अनुसार वायु प्रदूषण के कारण हर साल छह लाख बच्चों की जान चली जाती है। आपको याद होगा कि कोरोना की वजह से जब सख्त लॉकडाउन था, तो देश की राजधानी दिल्ली समेत देश के सभी शहरों के प्रदूषण में भारी कमी आयी थी। लॉकडाउन के दौरान लोगों को यह अहसास हुआ है कि साफ हवा क्या होती है और उसमें सांस लेना कितना सुखद होता है।
प्रदूषण न हो तो 20000 फीट की ऊंचाई पर स्थित वस्तु 300 किलोमीटर दूरी से नजर आती है
तत्समय अखबारों में छपीं तस्वीरें छपीं तस्वीरें और वर्णन सुखद अहसास देते थे। विशेषज्ञ कहते हैं कि यदि प्रदूषण न हो तो 20 हजार फीट ऊंची कोई भी शृंखला लगभग 300 किलोमीटर दूरी से नजर आ सकती है। अगर शासन व्यवस्था और जन सामान्य ठान लें, तो परिस्थितियों में सुधार लाया जा सकता है। दीपावली का 11 दिन दिन चलने वाला त्योहार शुरू होने जा रहा है पूरा देश मिल कर दीपावली पर खुशी के दिये जलाएं और न केवल दीपावली पर, बल्कि पूरे साल साफ-सफाई का ख्याल रखें। साथ ही अपने नदियों-तालाबों और वायुमंडल को प्रदूषण मुक्त रखने का संकल्प लें।
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श्री राकेश दुबे वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं।