बिहार और मध्यप्रदेश में हार के बाद कांग्रेस में उबाल आ गया है। कपिल सिब्बल की खरीखोटी के साथ पिछले वर्ष कांग्रेस से निकाले गए 9 वरिष्ठ नेताओं ने सोनिया गांधी पत्र लिखकर कहा है कि परिवार के मोह से ऊपर उठकर काम करें। इन चिट्ठी लिखने वालों में 2 प्रमुख नेता पूर्व सांसद संतोष सिंह और पूर्व मंत्री सत्यदेव त्रिपाठी शामिल हैं। कपिल सिब्बल ने तो टॉप लीडरशिप यानी सोनिया और राहुल गांधी पर निशाना साधा है, सिब्बल ने कहा कि पार्टी ने “शायद हर चुनाव में हार को ही नियति मान लिया है।“
इस बार चिट्ठी में सोनिया गाँधी से कहा गया है कि “पार्टी को महज इतिहास का हिस्सा बनकर रह जाने से बचा लें। परिवार के मोह से ऊपर उठकर काम करें।“ पार्टी की लोकतांत्रिक परंपराओं को फिर से स्थापित करें। यूपी में पार्टी अपने सबसे बुरे दौर से गुजर रही है। चिठ्ठी में आशंका व्यक्त की गई है कि यूपी कांग्रेस की प्रभारी (प्रियंका गांधी) ने आपको मौजूदा स्थिति के बारे में नहीं बताया है।
चिठ्ठी लिखने वालों ने यहाँ तक लिखा है कि "हम लगभग एक साल से आपसे मिलने के लिए अपॉइंटमेंट मांग रहे हैं, लेकिन मना कर दिया जाता है। हमने अपने निष्कासन के खिलाफ अपील की थी। केंद्रीय अनुशासन समिति को इस पर विचार करने का समय नहीं मिला। पार्टी के पदों पर उन लोगों का कब्जा है, जो वेतन के आधार पर काम कर रहे हैं। वे पार्टी के प्राथमिक सदस्य भी नहीं हैं।“ ये नेता पार्टी की विचारधारा से परिचित नहीं हैं, लेकिन उन्हें यूपी में पार्टी को दिशा देने का काम सौंपा गया है। ये लोग उन नेताओं के प्रदर्शन का आकलन कर रहे हैं, जो १९७७-८० के संकट के दौरान कांग्रेस के साथ चट्टान की तरह खड़े थे।"
चिठ्ठी में आगे लिखा है कि"लोकतांत्रिक मानदंडों की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। वरिष्ठ नेताओं को निशाना बनाया जा रहा है। उन्हें अपमानित किया जा रहा है। वास्तव में, हमें मीडिया से हमारे निष्कासन के बारे में पता चला था, जो राज्य इकाई में नई कार्य संस्कृति की बात करता है। नेताओं ने चेतावनी दी है कि अगर मौजूदा मामलों से आंखें मूंद ली गईं तो कांग्रेस को उस यूपी में बड़ा नुकसान होगा, जो कभी पार्टी का गढ़ हुआ करता था।
बिहार चुनाव में कांग्रेस के खराब प्रदर्शन पर पार्टी नेता कपिल सिब्बल ने भी टॉप लीडरशिप यानी सोनिया और राहुल गांधी पर निशाना साधा है। सिब्बल ने कहा कि “पार्टी ने शायद हर चुनाव में हार को ही नियति मान लिया है।“
सिब्बल ने एक अख़बार को दिए इंटरव्यू में कहा, "बिहार के चुनावों और दूसरे राज्यों के उप-चुनावों में कांग्रेस की परफॉर्मेंस पर अब तक टॉप लीडरशिप की राय तक सामने नहीं आई है। शायद उन्हें सब ठीक लग रहा है और इसे सामान्य घटना माना जा रहा है। मेरे पास सिर्फ लीडरशिप के आस-पास के लोगों की आवाज पहुंचती है। मुझे सिर्फ इतना ही पता होता है।"
सिब्बल का कहना है कि बिहार और उप-चुनावों के नतीजों से ऐसा लग रहा है कि देश की जनता कांग्रेस को प्रभावी विकल्प नहीं मान रही है। गुजरात उपचुनाव में हमें एक सीट नहीं मिली। लोकसभा चुनाव में भी यही हाल रहा था। उत्तर प्रदेश के उपचुनाव में कुछ सीटों पर कांग्रेस प्रत्याशियों को २ प्रतिशत से भी कम वोट मिले। गुजरात में हमारे ३ उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गई।कपिल सिब्बल ने कहा कि पार्टी ने६ सालों में कभी आत्ममंथन नहीं किया तो अब इसकी उम्मीद कैसे कर सकते हैं? हमें कमजोरियां पता हैं, यह भी जानते हैं संगठन के स्तर पर क्या समस्या है।
शायद समाधान भी सबको पता है, लेकिन कोई इसे अपनाना नहीं चाहता । अगर यही हाल रहा तो पार्टी को नुकसान होता रहेगा। कांग्रेस की दुर्दशा से सबको चिंता है।सिब्बल ने कहा कि मुश्किल यह है कि कांग्रेस वर्किंग कमेटी के मेंबर तक नॉमिनेटेड हैं। कांग्रेस वर्किंग कमेटी को पार्टी के कॉन्स्टीट्यूशन के मुताबिक डेमोक्रेटिक बनाना होगा। आप नॉमिनेटेड सदस्यों से यह सवाल उठाने की उम्मीद नहीं कर सकते कि आखिर पार्टी हर चुनाव में कमजोर क्यों हो रही है?
इसके पहले भी सिब्बल समेत कांग्रेस के 24 नेताओं ने सोनिया गांधी को चिट्ठी लिखकर पार्टी में बड़े बदलाव करने की जरूरत बताई थी। अगस्त में हुई कांग्रेस वर्किंग कमेटी की बैठक में इस चिट्ठी को लेकर हंगामा भी हुआ था।जिसके बाद राहुल गांधी ने चिट्ठी लिखने वाले नेताओं को भाजपा के मददगार बता दिया था।
मध्यप्रदेश में भी कभी कमलनाथ की चिठ्ठी तो कभी प्रतिपक्ष के नेताओं के साथ भोजन करते दिग्विजय सिंह के फोटो वायरल हो रहे हैं। यहाँ से वहां तक एक ही सवाल है कांग्रेस की यह दुर्गति क्यों ?
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श्री राकेश दुबे वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं।