डूबते बैंक, रिजर्व बैंक और ये सवाल - Pratidin

Bhopal Samachar
एक और निजी बैंक लक्ष्मी विलास बैंक को संकट से बाहर निकालने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक ने अंतत: टीएन मनोहरन को प्रशासक नियुक्त किया है। मनोहरन के अनुसार, बैंक के पास जमाकर्ताओं के पैसे लौटाने के लिए पर्याप्त धन है, लेकिन सवाल है कि बैंक खस्ताहाल क्यों हुआ? इसके लिए कौन जिम्मेदार है?

बैंकों के नियामक क्या कर रहे थे? बैंक के डूबने पर निवेशकों की जिंदगीभर की कमाई एक झटके में स्वाहा हो जाती है। कुछ सवाल फिर भी खड़े हैं, 94 साल पुराने इस निजी बैंक का विलय सिंगापुर के डीबीएस बैंक के साथ किये जाने का प्रस्ताव क्या सही है? क्या इसे हमारे देसी बैंक के साथ विलय नहीं किया जा सकता था?

मनोहरन का कहना है कि बैंक का विलय डीबीएस बैंक की भारतीय इकाई के साथ किया जा रहा है| मनोहरन के तर्क को समीचीन नहीं माना जा सकता है| पूर्व में भी डूबने वाले बैंकों का सफल विलय देसी बैंकों के साथ किया गया है| भारत में चाहे यस बैंक हो, आइडीबीआई या पीएनबी हो, सबको बचा लिया गया है| आइडीबीआई बैंक को बचानेवाले भारतीय जीवन बीमा निगम के शेयर इसमें बहुलता में हैं, जिससे यह बैंक पहले से मजबूत हुआ है|

इस मामले में सहकारी बैंक भाग्यशाली नहीं हैं| लक्ष्मी विलास बैंक का मामला सामने आने के तुरंत बाद रिजर्व बैंक ने इसके विलय की घोषणा डीबीएस के साथ कर दी, लेकिन पंजाब एंड महाराष्ट्र को-ऑपरेटिव बैंक (पीएमसी) के संकट को अभी भी दूर नहीं किया गया है| लक्ष्मी विलास बैंक ने पूर्व में इंडिया बुल्स हाउसिंग और क्लिक्स कैपिटल के साथ विलय की कोशिश की थी, लेकिन उसे रिजर्व बैंक ने मंजूरी नहीं दी|

लक्ष्मी विलास बैंक की ५७०  शाखाएं हैं, जिनमें ८५ प्रतिशत दक्षिण भारत में है और इसमें आधे से तो अधिक तमिलनाडु में हैं. इसका जमा घटकर २०,५० करोड़ रुपये हो गया है| इसमें चालू खाता और बचत खाता के ६,०७० करोड़ रुपये हैं और शेष मियादी खाते के जमा हैं| जमाकर्ताओं की संख्या लगभग २०  लाख है| लक्ष्मी विलास बैंक ने करीब १७००० करोड़ रुपये का कर्ज विविध ऋणियों को दे रखा है, जो सितंबर तिमाही में १६६३० करोड़ रुपये था|

एलवीबी को अस्तित्व बनाये रखने के लिए १५०० करोड़ रुपये की जरूरत है. वहीं, डीबीएस की कुल रेगुलेटरी पूंजी ७१०९ करोड़ रुपये है, जबकि एलवीबी के विलय के बाद जरूरत ७०२३ करोड़ रुपये की ही है| सभी वित्तीय मानकों पर खरा उतरने के कारण विलय के बाद भी डीबीएस के परिचालन पर कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ेगा| इसकी पुष्टि मनोहरन ने भी की है|

फिलहाल, लक्ष्मी विलास बैंक पर एक महीने के लिए लेन-देन पर रोक लगा दी गयी है. ग्राहकों में अफरातफरी मची हुई है, जिसका कारण केवल २५००० रुपये निकालने की अनुमति का होना है| आपात स्थिति में ग्राहक पांच लाख रुपये तक की निकासी कर सकते हैं| 
देश और मध्यप्रदेश की बड़ी खबरें MOBILE APP DOWNLOAD करने के लिए (यहां क्लिक करेंया फिर प्ले स्टोर में सर्च करें bhopalsamachar.com
श्री राकेश दुबे वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं।
संपर्क  9425022703        
rakeshdubeyrsa@gmail.com
पूर्व में प्रकाशित लेख पढ़ने के लिए यहां क्लिक कीजिए
आप हमें ट्विटर और फ़ेसबुक पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं

#buttons=(Ok, Go it!) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Check Now
Ok, Go it!