ग्वालियर। मध्य प्रदेश की डबरा विधानसभा सीट से उप चुनाव हार गईं श्रीमती इमरती देवी ने कैबिनेट मंत्री के पद से इस्तीफा नहीं दिया है। इस बात को लेकर भाजपा संगठन और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ में काफी नाराजगी देखी जा रही है। बताया जा रहा है कि इमरती देवी को भविष्य में भाजपा की तरफ से कुछ भी नहीं दिया जाएगा। नगरिया निकाय और पंचायत चुनाव में भी दूर रखा जाएगा। इमरती देवी ने पार्टी तो बदल दी परंतु शायद अब तक भारतीय जनता पार्टी की रीती नीतियों से परिचित नहीं हुई है अन्यथा इस तरह की अनुशासनहीनता कतई न करतीं।
किसी की नहीं सुन रही इमरती देवी, मनमानी शर्तें रख रही हैं
कैबिनेट मंत्री श्रीमती इमरती देवी को चुनाव हारने के बाद नैतिकता के नाते इस्तीफा देने के लिए कहा गया था, इमरती देवी बुलाने पर भोपाल तक आई परंतु इस्तीफा दिया बिना ही वापस चली गई जबकि एदल सिंह कंसाना और गिर्राज दंडोतिया का इस्तीफा मुख्यमंत्री को दिया जा चुका है। भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश कार्यालय में चर्चा है कि इमरती देवी मनमानी शर्तें रख रही हैं। बार-बार एहसान जताने की कोशिश कर रही है कि यदि वह कांग्रेस पार्टी से इस्तीफा देकर भाजपा में ना आती मध्यप्रदेश में शिवराज सिंह की सरकार नहीं बन पाती।
इमरती देवी से 15 महीने में 64000 मतदाता नाराज हुए
सिंधिया समर्थक इमरती देवी महिला एवं बाल विकास जैसे महत्वपूर्ण विभाग की मंत्री बनाई गई थी। 2018 के चुनाव में इमरती देवी ने डबरा से चुनाव लड़ा था, तब वे 57 हजार से ज्यादा वोटों से चुनाव जीती थीं, लेकिन उपचुनाव में इमरती देवी अपने समधि सुरेश राजे से 7 हजार से ज्यादा वोट से हार गईं। इस तरह मात्र 15 महीने के कार्यकाल में इमरती देवी ने अपने क्षेत्र के 64000 मतदाताओं को नाराज कर दिया। श्रीमती इमरती देवी द्वारा इसके अलावा जो भी कारण बताए जा रहे हैं उन्हें रिकॉर्ड पर नहीं लिया जा सकता क्योंकि ठीक है ऐसी ही परिस्थितियां हैं शेष सभी प्रत्याशियों के साथ थी।