आज के लेख में हम आपको भारतीय संविधान में जो आरक्षण का प्रावधान है उसके बारे में जानकारी देंगे, भारतीय संविधान, 1950 के अनुच्छेद 15(4) और 16(4) अनुसूचित जाति एवं जनजाति, पिछड़ा वर्ग के सदस्यों को आरक्षण की बात करती है। लेकिन एक सवाल बहुत ही महत्वपूर्ण है कि क्या कोई उच्च (सामान्य) जाति की महिला किसी आरक्षित वर्ग (SC,ST,OBC) वर्ग के सदस्य से शादी करती है तो क्या वह आरक्षण की हकदार होगी?
SC,ST,OBC की सवर्ण पत्नी आरक्षण की हकदार क्यों नहीं होगी
इसका जवाब है वह आरक्षण की हकदार नहीं होगी। क्योंकि उच्च जाति के सदस्य के रूप में उसके जीवन की अच्छी शुरुआत हुई थी और शिक्षा प्राप्त या वयस्क होने के पश्चात उसने आरक्षित वर्ग के लड़के के साथ विवाह किया है। इसलिए वह आरक्षण की हकदार नहीं होगी।
उधरणानुसार प्रमुख वाद:-
1. डॉक्टर नीलिमा बनाम डीन पोस्ट ग्रेजुएट स्टडीज एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी आन्ध्र प्रदेश-
इस मामले में यह प्रश्न यह प्रश्न था कि उच्च जाति की लड़की अगर अनुसूचित जाति या जनजाति के लड़के से विवाह कर लेती हैं तो उसे आरक्षण का लाभ मिलेगा। आन्ध्र प्रदेश उच्च न्यायालय ने यह निर्णय दिया कि सामान्य जाति की लड़की को अनुच्छेद 15(4) में अधीन आरक्षण की सुविधा नहीं होगी।
2. वलसम्मा पाल बनाम कोचीन विश्वविद्यालय:-
इस वाद में एक उच्च जाति की लड़की अन्य पिछड़ा वर्ग के लड़के से शादी कर लेती है और कोचीन विश्वविद्यालय में एक विधि विभाग द्वारा विज्ञापन निकाला जाता है और यह पद अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षित रहता है, वह महिला जो उच्च जाति की थी जिसने अन्य पिछड़ा वर्ग के लड़के से शादी की थी इस पद पर नियुक्त हो जाति हैं। जो दूसरी महिला वास्तविक जन्म से अन्य पिछड़ा वर्ग से थी वह न्यायालय में वाद दायर करती है। न्यायालय द्वारा यह अभिनिर्धारित किया गया कि एक उच्च जाति की महिमा यदि पिछड़ी जाति के सदस्य से विवाह भी कर लेती हैं तो उसे भारतीय संविधान के अंतर्गत अनुच्छेद 16(4) के अधीन आरक्षण की सुविधा नहीं होगी।
:- लेखक बी. आर. अहिरवार (पत्रकार एवं लॉ छात्र होशंगाबाद) 9827737665 | (Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article)
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