SDM से लेकर कलेक्टर तक सब की दलाली होती थी, सरकारी फाइलें दिखाकर कीमत वसूली जाती थी - INDORE NEWS

Bhopal Samachar
इंदौर।
बंसी ट्रेड सेंटर हुकम चंद घंटाघर इंदौर के सेकंड फ्लोर में स्थित एमपी ऑनलाइन के किओस्क सेंटर में एसडीएम से लेकर कलेक्टर तक सब की दलाली होती थी। इंदौर में आपको कोई भी काम हो यदि आप कीमत अदा करने के लिए तैयार है तो आपको कहीं जाने की जरूरत नहीं है। इतना ही नहीं जिला प्रशासन से लेकर नगर निगम तक यदि कहीं आप की फाइल अटकी है तो इसका मतलब वह फाइल बंसी ट्रेड सेंटर में रखी हुई है। जब तक कीमत अदा नहीं करोगे आप का काम नहीं होगा। कांड इतना बड़ा है कि संभाले नहीं संभल रहा है। हर तीसरा सरकारी अधिकारी संदिग्ध नजर आ रहा है।

घोटाले से जुड़े 8 लोगों के खिलाफ वारंट जारी

कलेक्टर मनीष सिंह की पहल पर छापामार कार्रवाई के बाद बड़ा खुलासा हुआ है। शुक्रवार को अतिरिक्त जिला दंडाधिकारी अजय देव शर्मा के न्यायालय द्वारा आठ व्यक्तियों के खिलाफ जमानती वारंट जारी किया गया है। एडीएम अजय देव शर्मा ने बताया है कि जांच दल के अधिकारियों द्वारा इस संबंध में छानबीन करने पर पाया गया की शुभम जैन, संदीप पटेल पिता प्रेमनारायण पटेल, संदीप भावसार पिता प्रहलाद दास भावसार, केतन सोनी पिता तुलसीदास सोनी, बनवारी जितेश गौर पिता रामनिवास, कमल वीरमानी और निर्मल नरेडी की भूमिका पाई गई है। इनकी उपस्थिति हेतु एडीएम न्यायालय द्वारा गिरफ्तारी (जमानती) वारंट जारी कर दिया है।

कलेक्टर कार्यालय, नगर निगम, टाउन एंड कंट्री प्लानिंग और इंदौर विकास प्राधिकरण की दलाली होती थी

कलेक्टर मनीष सिंह के आदेश पर एडीएम तथा एसडीएम एवं नगर निगम के अधिकारियों के संयुक्त दल द्वारा बंसी ट्रेड सेंटर हुकम चंद घंटाघर इंदौर के सेकंड फ्लोर में स्थित एमपी ऑनलाइन के कार्यालय में आकस्मिक जांच की गई थी। पूछताछ और निरीक्षण करने पर टीम को ज्ञात हुआ कि इस ऑफिस में एमपी ऑनलाइन से संबंधित कार्यों की आड़ में बड़े पैमाने पर दलाली का कारोबार पनप रहा है। कलेक्टर कार्यालय, नगर निगम, टाउन एंड कंट्री प्लानिंग इंदौर विकास प्राधिकरण के कार्यालयों से संबंधित कुछ दस्तावेज यहां पाए गए थे।

एसडीएम मल्हारगंज के हस्ताक्षर वाली फाइलें जप्त हुई हैं

जांच के दौरान सबसे अधिक फाइलें एसडीएम मल्हारगंज की पाई गई। इन फाईलों में से कुछ फाइलों पर एसडीएम के हस्ताक्षर मिले और सभी फाइलें मूल थी न की प्रमाणित प्रति। कुछ फाइलें तो एडीएम कार्यालय की भी मिली है। सभी फाइलों की जांच कलेक्टर के द्वारा निर्धारित टीम कर रही है।

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