जबलपुर। मध्य प्रदेश के जबलपुर के तिलवारा घाट पर अवैध निर्माण के विरोध में 59 दिन से अन्न परित्याग करने वाले संत भैयाजी सरकार की हालत सोमवार को बिगड़ गई। उन्हें आनन-फानन में निजी अस्पताल के आईसीयू में भर्ती कराना पड़ा।
संत के बीमार पड़ने से उनके भक्तों में आक्रोश है। पूर्व में भैयाजी सरकार ने प्रशासन को ज्ञापन सौंपा था। चेतावनी दी थी कि कार्रवाई नहीं हुई, तो वे अनशन करेंगे। तब भी प्रशासन नहीं जागा। चिकित्सकों ने उनका बीपी व शुगर लो होना बताया है। अन्न का परित्याग करने से एनर्जी लेवल गिर चुका है।
जानकारी के अनुसार हाईकोर्ट ने नर्मदा के 300 मीटर के दायरे में अवैध निर्माण व खनन पर रोक लगा रखी है। बावजूद तिलवारा में अवैध निर्माण जारी है। नर्मदा के अस्तित्व के लिए इसे खतरनाक बताते हुए संत भैयाजी अनशन कर रहे थे। भैयाजी सरकार ने अनशन शुरू करने से पहले कलेक्टर के माध्यम से अपनी आठ सूत्रीय मांग रखी थी, लेकिन इन्हें पूरा नहीं किया गया। भैयाजी का दावा है कि नर्मदा भक्त CM शिवराज सिंह को कुछ लोग अंधेरे में रखे हैं।
ये हैं मांगे
मां नर्मदा तट से 300 मीटर के क्षेत्र को हाईकोर्ट के आदेशानुसार सीमांकन कर प्रतिबंधित क्षेत्र घोषित किया जाए।मां नर्मदा को जीवंत इकाई का दर्जा देकर ठोस नीति व कानून बनाए। दबंग, भू-खनन माफिया, पूंजीपतियों द्वारा लगातार हरित क्षेत्र में अवैध निर्माण व अतिक्रमण पर रोक लगाई जाए। प्रतिबंधित क्षेत्र में अवैध संसाधन, भंडारण सामग्री मिलने पर राजसात किया जाए। अमरकंटक तीर्थ क्षेत्र में हो रहे निर्माण अतिक्रमण खनन पूर्णत: प्रतिबंधित किया जाए। नर्मदा में मिल रहे गंदे नालों को बंद किया जाए। पूर्व की घोषणा को सीएम पूरा करें। बेसहारा गौ-वंश के लिए आरक्षित नगरीय निकायों में गोचर भूमि को संरक्षित किया जाए और कब्जे हटाए जाए। नर्मदा पथ के तटवर्ती गांव-नगरों को जैव विविधता क्षेत्र घोषित कर समग्र गौ नीति या गौ अभयारण्य बनाया जाए।