ग्वालियर। मध्यप्रदेश के 20 जिलों में 89 आदिवासी बहुल 89 ब्लॉक में शालाओं को एकीकृत करने के नाम पर 5760 सरकारी स्कूलों को बंद करने का निर्णय शिवराज सरकार ने लिया है। इसका विरोध करते हुए प्रदेश अध्यक्ष मुदित भटनागर ने कहा की इस निर्णय के चलते आदिवासी बहुल इन जिलों में जहाँ शिक्षा का स्तर पहले से ही पिछड़ा है वहाँ शिक्षा की हालत और दयनीय हो जाएगी और आदिवासी समुदाय के छात्र शिक्षा से वंचित हो जाएंगे।
शिक्षा का अधिकार कानून कहता है कि प्रत्येक छात्र के लिए शिक्षा सुनिश्चित की जाए और उसके नजदीक ही पड़ोस में स्कूल खोला जाए लेकिन यहां सरकार पहले से ही खुले स्कूलों को बंद कर रही है। सरकारी स्कूल बंद होने से गरीब व निम्नमध्यम वर्गीय परिवारों से आए छात्र शिक्षा से वंचित हो जाएंगे, यह उसके शिक्षा विरोधी चरित्र को उजागर करता है। पहले लोजर मर्जर, एक परिसर एक शाला और अब नई शिक्षा नीति 2020 में स्कूल कॉप्लेक्स बनाने का प्रावधान यह सभी सरकारी स्कूलों पर ताला डालने की योजना है।
प्रदेश सचिव सचिन जैन ने बताया कि सरकारी स्कूलों को बंद करके गरीब व निम्नमध्यम वर्गीय परिवारों से आये छात्रों को निजी स्कूलों में जाने के लिए मजबूर किया जा रहा है। प्रशासनिक कसावट व एकीकरण के नाम पर सरकार सबको शिक्षा देने की जित्मेदारी से पल्ला झाड़ रही है। यहाँ यह भी स्पष्ट है कि नई शिक्षा नीति भी सबको शिक्षा सुनिश्चित नही करती है क्योंकि यह स्कूल कॉपलेक्स बनाकर कई स्कूलों को बंद कर सिर्फ एक स्कूल खोलने की बात करती है और शिक्षा के निजीकरण को बढ़ावा देती है।
एकतरफ शिक्षकों की भर्ती नही करना,शिक्षा बजट को कम करना, निजी स्कूलों को विशेष रियायतें देना यह सब दिखाता है कि सरकार भले ही कितनी भी लोकलुभावन घोषणा करें पर सबको शिक्षा देने की उसकी मंशा नही है। छात्र संगठन एआईडीएसओ सरकार के इस शिक्षाविरोधी निर्णय का पुरजोर विरोध करता है और माँग करता है कि आदिवासी बहुल इन इलाकों सहित कहीं पर भी स्कूल बंद ना किये जाए और बढ़ती आबादी के हिसाब से नए स्कूल खोले जाए। यह जानकारी प्रदेश कार्यालय सचिव अजीत सिंह पवार ने दी।