भारत देश में सरकार के खिलाफ हिंसा या गैरकानूनी गतिविधियां संचालित करने वाले संगठन या व्यक्तियों के बारे में कई बार आम नागरिकों को पता चल जाता है परंतु वह जिसकी सूचना सरकार तक नहीं पहुंचाते। ज्यादातर मामलों में अपराध की साजिश की सूचना देना जागरूकता कहलाता है परंतु देश के खिलाफ युद्ध छेड़ने वालों की सूचना देना कानूनी जिम्मेदारी है। इसे नहीं निभाने पर व्यक्ति को उनका सहयोगी माना जाता है और आईपीसी में ऐसे लोगों को कड़े दंड का प्रावधान है।
भारतीय दण्ड संहिता,1860 की धारा 123 की परिभाषा:-
अगर कोई व्यक्ति यह जानते हुए की भारत सरकार के विरुद्ध युध्द होने वाला है और वह यह जानते इस जानकारी को छिपाता है, जिससे कि विरोधी का काम आसान हो जाए। तब ऐसा करने वाला व्यक्ति धारा 123 के अंतर्गत दोषी होगा।
भारतीय दण्ड संहिता,1860 की धारा 123 के अंतर्गत दण्ड का प्रावधान:-
इस धारा के अपराध किसी भी प्रकार से समझौता योग्य नहीं होते हैं। यह संज्ञेय एवं अजमानतीय अपराध होते हैं। इनकी सुनवाई का अधिकार सत्र न्यायालय को होता है। सजा- इस धारा के अपराध के लिए दस वर्ष की कारावास एवं साथ मे जुर्माने से दाण्डित किया जाएगा है। :- लेखक बी. आर. अहिरवार (पत्रकार एवं लॉ छात्र होशंगाबाद) 9827737665 | (Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article)
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