इंदौर। मध्य प्रदेश के इंदौर शहर में प्रेमी के हाथों माता-पिता ज्योतिप्रसाद शर्मा व नीलम शर्मा की हत्या कराने वाली नाबालिग बेटी ही मास्टर माइंड निकली। उसने ही प्रेमी को उकसाया था। सहानुभूति पाने पिता पर शोषण करने के घिनौने आरोप लगाते हुए नोट छोड़ा। अब वह मां को गलत बता रही है। पुलिस की पूछताछ में कबूल किया है कि उसने भी माता-पिता पर वार किए थे।
इंदौर की पूरी पुलिस लगाकर मुझे खोज लेते, इसलिए उन्हें मारना जरूरी था
पुलिस को गुमराह करने के लिए पिता के बारे में झूठ लिखा था। डीजे (धनंजय यादव)ना फंसे इसलिए पत्र छाेड़ा था। लेकिन मां गलत थी। ज्यादा मेकअप करती, चैटिंग करती थी। राेज माता-पिता में झगड़ा होता था। मैं उनके साथ रहना नहीं चाहती थी। भाई इंदौर छोड़कर गया तो उसके दोस्त जासूसी करते थे। जब हम दाेनाें के बारे में जानकारी मिली तो पिता ने पिटाई की। बंदिशें लगा दी। मुझे कोचिंग छोड़ने खुद जाते थे। कैमरे से नजर रखते थे। पिता इतने गुस्से वाले थे कि इंदौर की पूरी पुलिस लगाकर मुझे खोज लेते, इसलिए उन्हें मारना जरूरी था। मैंने कोई रिलेशन नहीं बनाए, चाहो तो मेरा मेडिकल करवा लो।
अफसरों ने उससे पूछा कि हत्या के बाद रोई क्यों नहीं तो बोली अभी तो रोई थी। पुलिस के मुताबिक वह अंग्रेजी में फर्राटेदार बात करती है। 9वीं में 82 प्रतिशत अंक लाई थी। पुलिस ने आरोपी धनंजय से पूछताछ के लिए 3 दिन का रिमांड लिया है। नाबालिग बेटी को बाल संप्रेषण गृह भेज दिया है।
आरोपियों ने अपने मोबाइल यहीं छोड़ दिए थे। उनके सभी परिचितों के नंबर ट्रेसिंग पर थे। DIG हरिनारायणाचारी मिश्र ने बताया कि आरोपी ने चलते रास्ते एक व्यक्ति से फोन लेकर मित्र से मदद मांगी। इसी लिंक से पुलिस उन तक पहुंची। इंदौर पुलिस की सूचना पर मंदसौर पुलिस ने उन्हें होटल से पकड़ा।
माता पिता की हत्या के बाद चाय-नाश्ता किया
बुधवार रात को प्रेमिका ने बताया कि पिता रोज की तरह खूब शराब पीकर आए हैं। तड़के 3.30 बजे उसने फोन कर बुलाया। मैं 4 बजे पहुंचा। आगे के कमरे में मां सोई हुई थी। पहले उन्हीं पर हमला किया। आवाज सुन शर्मा बाहर आए। मैंने दोनों पर हथियारों से हमला कर दिया। हत्या के बाद अलमारी से 1.19 लाख निकाले। सुबह 6 बजे कैमरे का डीवीआर बंद कर भाग गए। दोनों एक्टिवा से गांधीनगर पहुंचे। दोस्त को एक्टिवा लौटाई और घर से बाइक ली। पेट्रोल लेकर विजयनगर चौराहा गए। वहां चाय-नाश्ता किया और निकल पड़े। हम प्रतापगढ़ में सैटल होना चाहते थे। वहां काम मिल जाता, फिर कभी नहीं लौटते।