भोपाल। मध्य प्रदेश की शिवराज सरकार (Madhya Pradesh Government) ने भोपाल गैस त्रासदी (Bhopal Gas Tragedy) की याद में 3 दिसंबर को भोपाल में सभी सरकारी कार्यालयों को बंद रखने का ऐलान किया है। 3 दिसंबर 1984 को भोपाल स्थित यूनियन कार्बाइड कीटनाशक संयंत्र से जहरीली गैस का रिसाव हुआ था।
हादसे में कई हजार लोगों की मौत हुई, तो घायल होने वालों की तादाद भी हजारों में थी। इसके साथ ही इस हादसे से अजन्मे बच्चों और आने वाली पीढ़ियों के स्वास्थ्य पर भी सवालिया निशान लग गया है। यकीनन यह भोपाल के लोगों को सदियों तक सालने वाला दर्द है। यूनियन कार्बाइड कार्पोरेशन के भोपाल स्थित संयंत्र से दो-तीन दिसंबर, 1984 को एमआईसी गैस के रिसाव के कारण हुयी त्रासदी में तीन हजार से अधिक लोग मारे गये थे और 1.02 लाख लोग इससे बुरी तरह प्रभावित हुये थे। यूनियन कार्बाइड कार्पोरेशन ने इस त्रासदी के लिये मुआवजे के रूप में 47 करोड़ अमेरिकी डालर दिये थे।
सन 2012 में सुप्रीमकोर्ट के आदेश के बाद भी यूनियन कार्बाइड कारखाने में दफन जहरीला कचरा राज्य की सरकारें हटवाने में आज तक नाकाम रहीं। सुप्रीम कोर्ट का आदेश था कि वैज्ञानिक तरीके से कचरे का निष्पादन किया जाए, लेकिन कारखाने में दफन 350 टन जहरीले कचरे में से 2015 तक केवल एक टन कचरे को हटाया जा सका है। इसे हटाने का ठेका रामको इन्वायरो नामक कंपनी को दिया गया है लेकिन कचरा अभी तक क्यों नहीं हटाया जा सका, इसका जवाब किसी के पास नहीं है। इस कचरे के कारण यूनियन कार्बाइड से आसपास की 42 से ज्यादा बस्तियों का भूजल जहरीला हो चुका है. पानी पीने लायक नहीं है, लेकिन किसी को फिक्र नहीं है।