भोपाल। कोरोनावायरस के संक्रमण को राष्ट्रीय आपदा घोषित किया गया है। संदिग्ध मरीज को तत्काल जांच एवं इलाज मिलना चाहिए। भोपाल के आईटीआई कैंपस स्थित स्वास्थ्य केंद्र में कोरोनावायरस के संक्रमण की जांच कराने आई महिला का सैंपल नहीं लिया गया और जब वह इस बात से नाराज होकर विरोध करने लगी तो उसके खिलाफ शासकीय डॉक्टर द्वारा शासकीय कार्य में बाधा का मामला दर्ज करके उसे गिरफ्तार करवा दिया गया।
अशोकागार्डन थाना प्रभारी आलोक श्रीवास्तव के अनुसार डॉक्टर मंजुला अग्रवाल आइटीआइ परिसर स्थित शासकीय डिस्पेंसरी में पदस्थ हैं। मंगलवार दोपहर एक महिला अपने एक परिचित के साथ अस्पताल पहुंची थी। उसे कुछ दिनों से बुखार और सर्दी खांसी थी, उसे कोरोना जांच करानी थी लेकिन डॉक्टर डिस्पेंसरी में उपलब्ध नहीं थी। डिस्पेंसरी की ओर से बताया गया है कि महिला को बुधवार सुबह 11:00 बजे का समय दिया गया।
महिला सुबह 11:00 बजे के बजाय दोपहर 2:30 बजे डिस्पेंसरी पहुंची ताकि डॉक्टर हर हाल में मिल जाए लेकिन तब भी डॉक्टर नहीं मिले। लगातार दूसरे दिन जांच नहीं होने और कोरोनावायरस से मौत का डर होने के कारण महिला विचलित हो गई और व्यवस्था का विरोध करने लगी। वहां मौजूद कर्मचारियों ने महिलाओं को जो दलीलें देना शुरू किया वह महिला के लिए अस्वीकार्य थी। महिला के साथ मौजूद अटेंडर ने दलील देते कर्मचारियों का वीडियो बनाना शुरू कर दिया।बस इसी बात से डॉक्टर नाराज हो गए।
डॉक्टर ने अशोका गार्डन थाने से पुलिस बुलाई और कोरोनावायरस संदिग्ध महिला की जांच करने के बजाए उसके खिलाफ शासकीय कार्य में बाधा का मामला दर्ज करवा दिया। पुलिस ने महिला को हिरासत में ले लिया। इसके बाद पुलिस अभिरक्षा में महिला की कोरोनावायरस संक्रमण की जांच की गई क्योंकि इस जांच से पहले किसी को जेल नहीं भेजा जा सकता। कुल मिलाकर भोपाल में एक महिला को कोरोनावायरस की जांच करवाने के लिए जेल जाना पड़ा।