जबलपुर। प्रशासन अकादमी, भोपाल, नरहोना में कार्यरत श्री वरूण कुमार मेरावी के विरुद्ध विभाग द्वारा निर्देशित, वसूली रुपये 2,11,956 /को हाईकोर्ट जबलपुर ने स्टे कर दिया है। संयुक्त संचालक कोष एवं लेखा की आपत्ति के पश्चात, विभाग द्वारा दिनांक 18/07/19 एवं 17/07/2020 को आदेश जारी कर, कर्मचारी को दिनाँक 01/07/2009 को प्रदान की गईं वेतनवृद्धि निरस्त कर, मूल वेतन कम कर दिया गया था।
कर्मचारी का मूलवेतन दिनांक 01/07/2009 से रुपये 6410/ के स्थान पर, रुपये 5410/ देने का आदेश जारी कर, वेतन पुनर्निधारण निर्देशित कर रुपये 1,99,291 वसूली निर्देशित की गई थी। उल्लेखनीय है, 12% ब्याज, मूलधन पर अधिरोपित करते हुए, कर्मचारी से रुपये 2,11,956 / वसूली निर्देशित की गई थी। उक्त वसूली को 24 किस्तों में किया जाना था।
कर्मचारी की ओर, से पैरोकार अधिवक्ता श्री अमित चतुर्वेदी, उच्च न्यायालय जबलपुर से प्राप्त जानकारी के अनुसार, चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी के विरुद्ध रुपये 8,832/ प्रत्येक माह वसूल किये जाने के आदेश को उच्च न्यायालय, जबलपुर ने गंभीरता से लिया है। स्टे बहस पर, दौरान उच्च न्यायालय, जबलपुर ने माना है कि भूतलक्षी प्रभाव से मूल वेतन कम किये जाना, प्राकृतिक न्याय के सिद्धांत का उल्लंघन है।
कोर्ट ने अंतरिम राहत के सवाल पर, माना कि किसी दुराव या छुपाव की अनुपस्थिति में, कम वेतन पाने वाले क्लास 4 (चतुर्थ श्रेणी) के कर्मचारी से वसूली की अनुमति दिया जाना, कर्मचारी के, मूलभूत संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन है। वर्चुअल सुनवाई के बाद, उच्च न्यायालय जबलपुर द्वारा अधिवक्ता अमित चतुर्वेदी के तर्कों से सहमत होते हुए, वसूली रुपये 2,11,956 को स्टे करते हुए, विभाग से जबाब तलब किया गया है।