यदि आपके इलाके में आवारा कुत्तों की संख्या बहुत अधिक है तो निश्चित रूप से आपको यह पता होगा कि उन्हें अपने दरवाजे पर रुकने से रोकने के लिए लोग एक HOME REMEDY का उपयोग करते हैं। किसी ट्रांसपेरेंट बोतल में लाल या नीले रंग का पानी भर देते हैं। इस बोतल को घर के दरवाजे पर रख दिया जाता है। बस इतना भर कर देने से आवारा कुत्ते घर के दरवाजे पर रुकना, भोंकना और टांग उठाना बंद कर देते हैं। सवाल यह है कि रंगीन पानी में ऐसा क्या होता है जो कुत्ते डर जाते हैं। यह कोई टोटका है या फिर कोई विज्ञान, आइए पता करते हैं:-
जंगली कुत्ते और शहरी कुत्तों की आंखों में अंतर
इटली की यूनिवर्सिटी ऑफ बारी के वैज्ञानिकों ने कुत्तों के आंखों की जांच के लिए एक तरीका विकसित किया। इसमें सामने आया कि जिस तरह कुछ मनुष्य वर्णांध होते हैं उसी तरह कुत्ते को भी हरे और लाल रंग में अंतर करने में परेशानी होती है। यही कारण है कि जंगल में कुत्ते सुबह या शाम जब प्राकृतिक प्रकाश कम होता है, तब सक्रिय होते हैं। इसलिए उन्हें कलर ब्लाइंडनेस के कारण ज्यादा परेशानी नहीं होती लेकिन शहरी क्षेत्रों में रहने वाले ज्यादातर कुत्तों को मनुष्यों के कारण दिन में सक्रिय होना पड़ता है। इस कारण उनकी आंखें ज्यादा विकसित नहीं हो पाती हैं।
लाल और नीले रंग से कुत्तों को डर क्यों लगता है
University of Bari के मार्सले सिंसिंशी ने बताया कि कुत्तों को लाल या नीला रंग दिखाई नहीं देता। इसका मतलब यह नहीं है कि इस रंग की वस्तु उनकी आंखों के सामने बनने वाले चित्र से गायब हो जाती है और उस वस्तु के पीछे जो होता है वह कुत्तों को दिखाई दे जाता है। बल्कि कलर ब्लाइंडनेस के कारण उन्हें नीला या फिर लाल रंग देखने में तकलीफ होती है। इसलिए वह उस स्थान को छोड़ देना पसंद करते हैं जहां पर लाल या फिर नीला रंग होता है। कई बार कुत्ते बेवजह भोंकने लगते हैं, इसका कारण भी कलर ब्लाइंडनेस हो सकता है। कोई वस्तु या मनुष्य लाल या नीला रंग पहनकर रोड की तरफ बढ़ रहा होता है।
कलर ब्लाइंडनेस क्या होती है और इससे आखों में क्या बदलाव आता है
वर्णांधता (Colourblindness) - एक आंखों का रोग है जिसमें रोगी लाल, हरे और नीले (Red, Green and Blue ; Primary colours) में अंतर नहीं कर पाता। स्तनपाई जीवों (Mammals) की आंखों के रेटिना में दो प्रकार की कोशिकाएं शंकु (cones cells) और शलाका (Rods cells) पाई जाती हैं। Cones से तेज रोशनी में दिखाई देता है जबकि Rods से कम रोशनी में दिखाई देता है।
मनुष्य की आंखों में cones अधिक तथा Rods कम मात्रा में उपस्थित होते हैं इसलिए हम अंधेरे में आसानी से नहीं देख पाते। जबकि कुत्ते में cones कम मात्रा में पाए जाते हैं और Rods अधिक मात्रा में होते हैं। इस कारण कुत्ते अंधेरे में भी देखने में सक्षम होता है। cones से कलर भी दिखाई देते हैं जबकि Rods से गति और दिशा निर्धारित होती है। cones के कम मात्रा में उपस्थित होने के कारण ही कुत्ते रंगों में भेद नहीं कर पाते और लाल, नीले रंगों से डर कर भाग जाते हैं। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article (current affairs in hindi, gk question in hindi, current affairs 2019 in hindi, current affairs 2018 in hindi, today current affairs in hindi, general knowledge in hindi, gk ke question, gktoday in hindi, gk question answer in hindi,)