ज्योतिरादित्य सिंधिया ने पुजारी को मंदिर से बेदखल करवाया था, कोर्ट ने वापस दाखिल करवाया - GWALIOR NEWS

Bhopal Samachar
ग्वालियर
। पिछले महीने ज्योतिरादित्य सिंधिया से विवाद के कारण भूतेश्वर महादेव मंदिर के पुजारी परिवार को कलेक्टर ने बलपूर्वक मंदिर परिसर से बेदखल कर दिया था। इस मामले में न्यायालय ने स्थगन आदेश जारी कर दिया है। पुजारी परिवार ने फिर से मंदिर परिसर में प्रवेश किया और पूजा अर्चना की। 

प्राचीन भूतेश्वर महादेव मंदिर के घटनाक्रम का विवरण

मंदिर के पुजारी अमन शर्मा को न्यायालय से मिलने के बाद मंगलवार को उन्होंने मंदिर में प्रवेश करके भगवान भोलेनाथ का अभिषेक किया। जिसमें आसपास के क्षेत्र की जनता व भक्त जनों ने बढ़ चढक़र हिस्सा लिया। लगभग एक महीने पूर्व प्रशासन द्वारा परिवार को बेदखल करने के बाद परिवार मंदिर परिसर में खुले में एक महीने से न्याय के लिए धरने पर बैठा था। पुजारी अमन शर्मा ने बताया कि उनकी पांच पीढिय़ों से मंदिर की पूजा-अर्चना की जा रही है। कभी ऐसी स्थिति निर्मित नहीं हुई। उन्होंने बताया कि मुझे न्यायपालिका पर पूरा भरोसा है। 

ज्योतिरादित्य सिंधिया ने भूतेश्वर महादेव मंदिर से पुजारी परिवार को बेदखल क्यों करवाया 

पिछले महीने खुले आरोप लगे लेकिन इस प्रश्न का जवाब ज्योतिरादित्य सिंधिया की ओर से नहीं दिया गया। मंदिर के पुजारी अमन शर्मा की ओर से बताया गया कि यह मंदिर रियासत काल में बनाया गया था। मंदिर की देखरेख की जिम्मेदारी उनके परिवार को दी गई थी। मंदिर के संचालन के लिए 19 बीघा जमीन दान की गई थी। ज्योतिरादित्य सिंधिया के पूर्वजों द्वारा दान की गई जमीन को ज्योतिरादित्य सिंधिया बेचना चाहते हैं। इसके लिए उन्होंने भारतीय जनता पार्टी में शामिल होते हैं सत्ता का दुरुपयोग करते हुए दस्तावेजों में अपनी मर्जी के अनुसार फेरबदल करवाए, लेकिन जब तक पुजारी परिवार को बेदखल नहीं किया जाता तब तक मंदिर की जमीन बेचना संभव नहीं था इसलिए पुजारी परिवार को बलपूर्वक मंदिर से बेदखल किया गया। 

सिंधिया देवस्थान ट्रस्ट का विवाद 

इस मामले में सिंधिया देवस्थान ट्रस्ट का विवाद भी सामने आता है। श्री भूतेश्वर महादेव मंदिर शब्द प्रताप आश्रम के पुजारी स्वर्गीय शंभू नाथ शर्मा की पत्नी श्रीमती चंद्र वती शर्मा ने बताया कि मध्यप्रदेश राजपत्र 18 मार्च 1971 की अधिसूचना के अनुसार इस ट्रस्ट को 1968 में जो छूट दी गई थी वह 18 मार्च 1971 को गजट नोटिफिकेशन के द्वारा निरस्त कर दी गई। इस फैसले के खिलाफ सिंधिया देवस्थान ट्रस्ट द्वारा 1972 में हाई कोर्ट में अपील की गई। दिनांक 25 अप्रैल 1973 को हाईकोर्ट ने सिंधिया देवस्थान ट्रस्ट की याचिका को खारिज कर दिया। इस प्रकार सिंधिया देवस्थान ट्रस्ट एक अपंजीकृत संस्था है। जिसे किसी भी प्रकार की आवेदन-निवेदन का अधिकार नहीं है।

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