मध्य प्रदेश। स्कूल टाइम में ग्वालियर के टॉपर, आईआईटी कानपुर से इंजीनियर और डीएवी कॉलेज लखनऊ से LLM लॉयर श्री सुरेंद्र वशिष्ठ शिंदे की छावनी स्थित बस स्टैंड (GWALIOR) पर फुटपाथ पर भिखारियों जैसी स्थिति में मिले। स्वर्ग सदन आश्रम के संचालक विकास गोस्वामी जब उनके पास पहुंचे तो श्री वशिष्ठ ने फ्लूएंट इन इंग्लिश में उनसे बात की। एक लावारिस भिखारी की मदद करने पहुंचे विकास गोस्वामी यह देखकर आश्चर्यचकित थे कि सामने वाला व्यक्ति फर्राटेदार अंग्रेजी बोल रहा है।
ग्वालियर के टॉपर, IIT कानपुर से इंजीनियर और लखनऊ से LLM किया है
विकास गोस्वामी और उनके साथी 92 वर्षीय बुजुर्ग श्री सुरेंद्र वशिष्ठ को स्वर्ग सदन आश्रम लेकर आए। उन्हें स्नानादि कराकर भोजन कराया। फिर उनके ठहरने का प्रबंध किया। सुरेंन्द्र वशिष्ठ ने बताया कि वह ग्वालियर के मशहूर मिस हिल हायर सेकंडरी स्कूल (Miss Hill Higher Secondary School) के टॉपर रहे हैं। उन्होंने 1969 में आईआईटी कानपुर(IIT KANPUR) से मैकेनिकल इंजीनियरिंग किया और 1972 में लखनऊ के डीएवी कॉलेज से एलएलएम। उनके पिता ग्वालियर की जेसी मिल में काम करते थे, उसके बाद दिल्ली के कनॉट प्लेस में खादी भंडार सहित कई जगह नौकरी की।
बुजुर्ग सुरेंद्र वशिष्ठ का परिवार विदेश में रहता है
आईआईटीयन सुरेन्द्र वशिष्ठ ने बताया कि उनका परिवार विदेश में रहता है। विकास के अनुसार जब उन्होंने सुरेन्द्र के भतीजे से संपर्क किया तो पता चला उनकी कही सारी बातें सच हैं। उन्होंने शादी नहीं की। भतीजे ने बताया कि सुरेंद्र वशिष्ठ की मानसिक स्थिति ठीक नहीं है, इसलिए वह भटकते रहते हैं परंतु बड़ा प्रश्न यह है कि इतना हाई प्रोफाइल परिवार होने के बावजूद उन्हें इस तरह लावारिस क्यों छोड़ दिया गया। उनका इलाज क्यों नहीं करवाया गया।
कचरे में खाना ढूंढते मिले सब इंस्पेक्टर की कहानी आज भी उलझी हुई है
इसी साल 10 नवंबर 2020 की रात उपचुनाव की सुरक्षा व्यवस्था में तैनात डीएसपी रत्नेश सिंह तोमर और विजय सिंह को ग्वालियर की सड़कों पर ठंड से ठिठुरता और कचरे में खाना ढूंढ रहा एक भिखारी मिला था। जब डीएसपी भिखारी के पास पहुंचे तो वह चौंक गए थे. दसअसल, वह उनका ही बैचमेट मनीष मिश्रा निकला, जो पुलिस एकेडमी में अचूक निशानेबाज हुआ करता था। डीएसपी ने अपने बैचमेट मनीष को रेस्क्यू कराया और स्वर्ग सदन में रहने की व्यवस्था की। मनीष की हालत में अब धीरे-धीरे सुधार आ रहा है। सब इंस्पेक्टर मनीष मिश्रा की कहानी भी काफी उलझी हुई है। मध्य प्रदेश का जांबाज शार्प शूटर अचानक कर्तव्य से अनुपस्थित हो गया और डिपार्टमेंट ने उसकी तलाश तक नहीं की। परिवार में किसी ने उसकी चिंता नहीं की। लावारिस मरने के लिए छोड़ दिया गया।