जबलपुर। मध्य प्रदेश के जबलपुर शहर में दर्दनाक हादसे में 55-60 वर्ष की दो महिलाओं की मौत हो गई। हादसा उस वक्त हुआ, जब दोनों महिलाएं कड़कड़ाती ठंड से बचने के लिए नगर निगम की बनी दुकानों के छज्जे के नीचे सो रही थीं। रात में दुकान का छज्जा गिरा और दोनों की अंतिम चीख उसी में दब गई। दोनों महिलाएं भिखारिन थीं। हादसे में एक घायल भी हुआ है। आसपास के अन्य भिखारी ने थाने में सूचना दी।
घंटाघर के सामने नगर निगम की दुकानें संजय जैन के नाम पर आवंटित दुकान नंबर 25 व 26 के नीचे दो महिलाएं व एक पुरुष सो रहे थे। रात करीब सवा तीन बजे अचानक जर्जर हो चुका दुकान का छज्जा भरभरा कर गिर गया। इसके नीचे दो महिलाएं व एक पुरुष दब गए। खबर मिलते ही मौके पर पहुंची पुलिस ने तीनों को निकाल कर अस्पताल पहुंचाया, जहां महिलाओं को मृत घोषित कर दिया गया, जबकि पुरुष को अस्पताल में भर्ती कराया गया है।
महिलाओं में एक की उम्र 55 तो दूसरी की उम्र करीब 60 वर्ष है। दोनों बाजारों में घूम कर दिन में भीख मांगती थीं और रात में फुटपाथ पर या दुकानों के छज्जे के नीचे सो जाती थीं। दोनों की पहचान नहीं हो पाई है। मंगलवार को पीएम के बाद दोनों को लावारिस हालत में ही दफना दिया गया।
दोनों महिलाओं की मौत ने नगर निगम और प्रशासन पर भी सवाल उठाया है। जहां हादसा हुआ, वो ओमती थाने से 200 मीटर दूर और कलेक्टोरेट रोड पर है। बावजूद महिलाओं पर किसी प्रशासनिक अधिकारी की नजर नहीं पड़ी। शहर में नगर निगम के 14 रैन बसेरे हैं। इनमें इसी तरह के लोगों को ठौर देने की व्यवस्था है। बावजूद वहां भी इन्हें रुकने नहीं दिया जाता।
घंटाघर स्थित नगर निगम मार्केट बहुत पुराना है। इसकी हालत जर्जर हो चुकी है। मार्केट को तोड़ने के आदेश भी हो चुके हैं, लेकिन व्यापारियों के विरोध और प्रशासन के लचर रवैये की वजह से इसे तोड़ने की कार्रवाई नहीं की गई है। मार्केट की दुकानें बंद होने के बाद यहां दर्जनों की संख्या में गरीब तबके महिला-पुरूष और मांग कर खाने-पीने वाले लोग रात गुजारते हैं। सुबह यहां से चले जाते हैं।