जबलपुर। नाबालिग लड़कियों को प्रपोज करके और किसी मंदिर आदि में चुपचाप मांग में सिंदूर भरके भगा ले जाने वाले लड़कों की जमानत याचिकाएं रद्द की जा रही है। न्यायालय का कहना है कि इस तरह के मामले समाज के लिए बेहद चिंता का विषय है। विशेष न्यायाधीश संगीता यादव की अदालत में दो अलग अलग मामलों में संदीप कुमार और संजय कुमार की जमानत याचिका रद्द कर दी गई। उल्लेखनीय है कि जब तक लड़की विवाह योग्य कानूनी उम्र पूरी नहीं कर लेती उससे पहले लड़की से विवाह करना भारत में अपराध माना जाता है। यदि लड़की की उम्र 18 वर्ष से कम है, तो भले ही लड़की अपनी मर्जी से घर छोड़कर जाए फिर भी उसे अपरहण माना जाता है। संबंध बनाने की स्थिति में बलात्कार दर्ज किया जाता है।
विशेष न्यायाधीश संगीता यादव की अदालत ने नाबालिग को शादी का झांसा देकर दुष्कर्म करने के आरोपित संजय कुमार जमानत अर्जी भी खारिज कर दी गयी। अभियोजन की ओर से अतिरिक्त जिला अभियोजन अधिकारी स्मृतिलता बरकड़े ने आवेदन का विरोध किया। उन्होंने दलील दी कि 17 जनवरी 2020 को 16 वर्ष 6 माह की नाबालिग रात्रि 11 बजे खाना खाकर सो गई थी। रात्रि तीन बजे उसे बिस्तर में न पाकर परिजन परेशान हो गए। लिहाजा, आसपास तलाश शुरू कर दी गई। रिश्तेदारों के यहां भी कोई जानकारी नहीं मिली। इसलिए पुलिस थाने पहुंच गए। भेड़ाघाट पुलिस ने शिकायत दर्ज करके पूछताछ शुरू कर दी।
इस दौरान पता चला कि नटवारा, शहपुरा का रहने वाली संजय एक बार ट्रैक्टर चलाने आया था। तभी उसकी नाबालिग से जान-पहचान हो गई थी। उसने शादी का झांसा दिया और नाबालिग को भगाकर मैहर ले गया। वहां मांग में सिंदूर भरकर भोपाल और राजस्थान ले गया। उसने कई बार दुष्कर्म किया। इससे नाबालिग गर्भवती भी हो गई। इस तरह के गंभीर मामले में जमानत देने से समाज में गलत संदेश जाएगा। दूसरे आरोपित संदीप कुमार का मामला भी कुछ ऐसा ही है। संदीप कुमार ने भी एक नाबालिग लड़की को प्रपोज किया और अपने साथ भगा ले गया। न्यायालय ने दोनों मामलों में जमानत याचिका रद्द कर दी है।