महाेदय, हम सभी कोविड -19 चिकित्सा अधिकारी और स्टाफ (आयुष चिकित्सक, नर्सिंग स्टाफ, फार्मासिस्ट, लैब टेक्नीशियन) पिछले 8 महीनों से जान जोखिम में डाल कर काम कर रहे हैं। सरकार आवश्यकताओं के अनुसार हमारा अनुबंध घटा-बढ़ा रही है, किंतु हमने जिन परिस्थितियों में सरकार का साथ दिया है, उन्हें ध्यान में रखते हुए हमें संविदा में लिया जाए। सरकार के स्वास्थ्य विभाग में पर्याप्त पद रिक्त हैं। हमारे पास सरकारी सिस्टम में काम करने का अनुभव भी हो गया है। इतने महीनों से काम करना और अब हमें अचानक से बेरोजगार करना उचित नहीं है। हमारी प्राइवेट नौकरी और क्लिनिक भी छूट चुकी हैं।
तीन महीने के लिए नियुक्त किया था, फिर सेवा बढ़ाते गए
मध्यप्रदेश की शिवराज सिंह सरकार ने कोविड-19 में आवश्यकता पड़ने पर तीन माह की अस्थाई नौकरी का प्रस्ताव सरकार द्वारा दिया गया था, जिसमें पैरामेडिकल के छात्रों द्वारा ज्वॉइन किया गया था। यह वही डॉक्टर थे, जिन्होंने 3 महीने कोरोना में सेवा दी। राज्य शासन महीने दर महीने इनकी सेवा को बढ़ा रही है। इनका कार्यकाल 31 दिसंबर तक का बढ़ा दिया गया है। इनकी मांग है कि एक-एक महीने बढ़ाने के बजाय संविदा नियुक्ति कर दी जाए।
हमने सरकार का साथ दिया है, सरकार हमारा साथ नहीं देगी क्या
हम लॉकडाउन के समय से काम कर रहे हैं। हमें तीन महीने के अनुबंध पर रखा गया था, जिसे बढ़कर बाद में 8 महीने कर दिया गया। कोरोना के ऐसे समय में हमने सरकार का साथ दिया है, जब सरकार को जरूरत थी। हमें सरकार या तो संविदा में रखे या स्थाई नियुक्ति दे दे, जिससे हमारा भविष्य सुरक्षित हो सके। प्रदेशभर में हमारी संख्या 7 हजार से ज्यादा है। सीएम ने इसे लेकर आश्वासन जरूर दिया है। कई जिलों में साथियों को निकाला जा चुका है।