आदरणीय महोदय जी, सादर नमस्कार, ज्योतिरादित्य सिंधिया जी ने इस वक्तव्य के साथ कांग्रेस को छोड़ा कि यदि अतिथिशिक्षकों को नियमित नहीं किया गया तो मैं उनकी ढाल और तलवार बनूगां और उनके हित मे उनके साथ सड़को पर उतर जाऊँगा (वीडियो देखने के लिए यहां क्लिक करें) लेकिन सरकार बनने के 9 माह बाद भी प्रदेश के अतिथिशिक्षकों के लिए सिंधिया जी ने कुछ नहीं किया यहां तक कि अब वो इस मुद्दे पर बात तक नहीं करते।
मप्र के कई अतिथिशिक्षक भयावह आर्थिक परेशानी व बेरोजगारी के चलते काल के गाल मे समा गए है अतिथिशिक्षकों को लाकडाउन का वेतन तक मप्र सरकार ने नहीं दिया है प्राथमिक, माध्यमिक शालाओं के अतिथिशिक्षक बेरोजगार बैठे है परंतु अब तक इस मुद्दे पर सिंधिया चुप हैं। इससे तो यही प्रतीत होता है की ज्योतिरादित्य जी ने अपने राजनैतिक लाभ और अपनी जनहितैषी छवि बनाने के लिए अतिथिशिक्षकों का इस्तेमाल किया था और अब जब वे सत्ता के शीर्ष पर है तो इस मुद्दे पर चुप्पी साधे हैं।
वही अतिथिशिक्षकों के आंदोलन मे विपक्ष के रूप मे जाने वाले भाजपा के बड़े चेहरे भी सत्ता की चॉसनी पाते ही वर्षों तक 100 रू के अल्पमानदेय पर सेवा देने वाले व अनिश्चित भविष्य मे जी रहे अतिथिशिक्षकों को भूल चुके हैं। यदि भाजपा चाहती तो पीईबी परीक्षा पास डीएड, बीएड अतिथिशिक्षकों को उनकी 5-10 वर्ष की सेवा के आधार पर नियमित कर सकती थी क्योंकि इनके पूर्व घोषित राजपत्र मे शिक्षकों के लाखों पद रिक्त दिखाये गये थे।
सादर धन्यवाद
आशीष बिलथरिया
उदयपुरा जिला रायसेन म.प्र